आबकारी विभाग का दावा है, राशि वसूलने के लिए लगातार कार्रवाई कर रहे हैं। आरोपी विजय श्रीवास्तव को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया है। सहायक आबकारी आयुक्त आलोक खरे के मुताबिक, फरार होने पर विजय की कार जब्त कर 2 लाख 11 हजार रुपए में बेची। उसके बायपास पर सहारा सिटी में फ्लैट की सरकारी गाइड लाइन से कीमत करीब 35 लाख रुपए तय हुई है। उसकी नीलामी का प्रयास हुआ, लेकिन सफल नहीं हो पाए। उसके प्लॉट भी हैं, लेकिन उन पर बैंक के करीब 3-4 करोड़ रुपए बकाया हैं। इनकी नीलामी से बैंक राशि वसूलेगी। ज्यादा रकम मिली तो आबकारी विभाग को सौपेंगी। गिरफ्तार हो चुके बलराम माली और अभिषेक करीब 2.82 करोड़ बकाया राशि नहीं दे पा रहे हैं। उनकी कुछ संपत्ति पता चली है, जिन्हें बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
विभाग के ही दोषी अफसरों से हो सकती है वसूली
वि भाग मान रहा है, तमाम नीलामी के बाद भी शासन को हुए नुकसान की पूरी राशि वसूली नहीं जा सकेगी। ट्रेजरी अधिनियम में प्रावधान है, किसी अफसर की लापरवाही से शासन को राजस्व का नुकसान होता है तो वह राशि उसकी ग्रेच्युटी, पेंशन से वसूली जाए। घोटाले में तत्कालीन सहायक आयुक्त संजीव दुबे व अन्य लोगों की विभागीय जांच शुरू हुई है। 15 फरवरी को कुछ लोगों के बयान होंगे। जांच में ये दोषी पाए गए तो इनसे वसूली का आदेश जारी हो सकता है।