पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से लेकर चुनावी मैदान में उतरने के लिए दावेदारी करने वालों से स्क्रीनिंग कमेटी बात कर रही है। इसके चलते कांग्रेस में चुनाव में टिकट को लेकर भोपाल में घमासान मचा हुआ है, क्योंकि पार्टी हाईकमान ने मन बना लिया है कि प्रदेश की जिन विधानसभा सीटों पर कोई विवाद या विरोध नहीं है, वहां उम्मीदवारों की घोषणा पहले करना है। कांग्रेसियों की मानें तो प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 100 उम्मीदवारों की सूची अगस्त में जारी हो सकती है, इसीलिए स्क्रीनिंग कमेटी ने टिकट वितरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इसके लिए गाइड लाइन भी बना दी है। गाइड लाइन के हिसाब से जिन नेताओं के घर में आधा परिवार भाजपा और आधा कांग्रेस में है, उन्हें टिकट देने से पहले कांग्रेस विचार करेगी। कांग्रेसियों के अनुसार स्क्रीनिंग कमेटी ने कल कई नेताओं से बात की, आज भी यह सिलसिला जारी रहेगा। फॉर्मूला लगभग तय है। इसी के आधार पर कांग्रेस टिकट के दावेदारों को परखेगी और टिकट देगी।
ये है गाइड लाइन – गत विधानसभा चुनाव (2008 तथा 2013) दोनों में पराजय वाले दावेदारों को टिकट नहीं।
– गत विधानसभा चुनाव (2013) में 20 हजार से अधिक से हारने वाले को टिकट नहीं।
– एक ही परिवार से यदि दो अलग-अलग सदस्यों को अवसर मिला और पराजित हुए तो अब अवसर नहीं दिया जाएगा।
– वर्तमान विधायक के खिलाफ यदि लोकसभा प्रत्याशी ने शिकायत की है तो उसकी पूर्ण समीक्षा उपरांत ही टिकट दिया जाएगा।
– टिकट लेने वाले का परिवार (ब्लड रिलेशन/ सगे भाई ,बहन ,पति, पत्नी) यदि भाजपा के पदाधिकारी/ जनप्रतिनिधि हैं, तो समीक्षा उपरांत ही पैनल में नाम आए।
– नए सदस्य, जो भाजपा या अन्य दल से कांग्रेस में आए हंै, उनको टिकट देने से अन्य (क्षेत्रीय सीमावर्ती) सीटों पर क्या सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, इसकी समीक्षा करने के साथ स्थानीय नेताओं की सर्वसम्मति से ही टिकट दिया जाएगा।
– विधानसभा क्षेत्र में प्रभावशाली एक ही जाति विशेष को यदि लगातार दो बार से पराजय मिल रही हो तो समीक्षा उपरांत अन्य जाति के उम्मीदवार को प्राथमिकता मिलेगी।
– लगातार तीन या अधिक बार से विधानसभा चुनाव जिन सीटों पर हार रहे हैं, वहां की समीक्षा अलग से होगी। इन सीटों पर पार्टी के युवाओं और अन्य सामाजिक क्षेत्र से यदि कोई कांग्रेस विचारधारा वाले सोशल वर्कर व आरटीआइ एक्टिविस्ट हो तो उन्हें प्राथमिकता मिलेगी।
– 2 हजार से कम अंतर से हारी सीटों की समीक्षा अलग से होगी। यहां पुराने प्रत्याशी यदि इस अंतराल में सक्रिय रहे हैं तो उन्हें प्राथमिकता।
– दो या अधिक बार यदि अन्य दल और निर्दलीय प्रत्याशी रहते हुए पराजय मिली है, तो टिकट नहीं।
– गत विधानसभा चुनाव (2013) में 20 हजार से अधिक से हारने वाले को टिकट नहीं।
– एक ही परिवार से यदि दो अलग-अलग सदस्यों को अवसर मिला और पराजित हुए तो अब अवसर नहीं दिया जाएगा।
– वर्तमान विधायक के खिलाफ यदि लोकसभा प्रत्याशी ने शिकायत की है तो उसकी पूर्ण समीक्षा उपरांत ही टिकट दिया जाएगा।
– टिकट लेने वाले का परिवार (ब्लड रिलेशन/ सगे भाई ,बहन ,पति, पत्नी) यदि भाजपा के पदाधिकारी/ जनप्रतिनिधि हैं, तो समीक्षा उपरांत ही पैनल में नाम आए।
– नए सदस्य, जो भाजपा या अन्य दल से कांग्रेस में आए हंै, उनको टिकट देने से अन्य (क्षेत्रीय सीमावर्ती) सीटों पर क्या सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, इसकी समीक्षा करने के साथ स्थानीय नेताओं की सर्वसम्मति से ही टिकट दिया जाएगा।
– विधानसभा क्षेत्र में प्रभावशाली एक ही जाति विशेष को यदि लगातार दो बार से पराजय मिल रही हो तो समीक्षा उपरांत अन्य जाति के उम्मीदवार को प्राथमिकता मिलेगी।
– लगातार तीन या अधिक बार से विधानसभा चुनाव जिन सीटों पर हार रहे हैं, वहां की समीक्षा अलग से होगी। इन सीटों पर पार्टी के युवाओं और अन्य सामाजिक क्षेत्र से यदि कोई कांग्रेस विचारधारा वाले सोशल वर्कर व आरटीआइ एक्टिविस्ट हो तो उन्हें प्राथमिकता मिलेगी।
– 2 हजार से कम अंतर से हारी सीटों की समीक्षा अलग से होगी। यहां पुराने प्रत्याशी यदि इस अंतराल में सक्रिय रहे हैं तो उन्हें प्राथमिकता।
– दो या अधिक बार यदि अन्य दल और निर्दलीय प्रत्याशी रहते हुए पराजय मिली है, तो टिकट नहीं।