बिजली कंपनी के सुरक्षा मापदंड सवालों के घेरे में : ग्रिड के नीचे गिट्टी तो थी पर बहुत ही कम, आसपास ऑइल के बैरल रखे थे, तारों के बंडल व सूखी लकडिय़ों के ड्रम भी बने घातक
इंदौर. पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के पोलोग्राउंड परिसर स्थित चंबल ग्रिड में गुरुवार को लगी आग ने बिजली कंपनी के सुरक्षा मापदंडों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रिड में आवश्यक सुविधाओं के साथ ही इसका जिस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा था, वो भी हादसे का कारण बना।
नियमों के तहत ग्रिड को पूरी तरह साफ रखा जाता है, लेकिन इसके उलट यहां तो उसे स्टोर रूम की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था। ऊपर से आग लगने पर यहां के इलेक्ट्रानिक सुरक्षा उपकरण भी काम नहीं आए। किसी भी बिजली कंपनी की ग्रिड में कोई दुर्घटना न हो इसके लिए सुरक्षा के इंतजाम होना बेहद जरूरी है। इसके लिए बाकायदा सुरक्षा नियम बने हुए हैं।
इसमें ग्रिड पर लगने वाले जरूरी उपकरणों के साथ ही आसपास के माहौल की स्थिति भी साफ है। नियमों के अनुसार स्टेशन और उसके आसपास के क्षेत्र में सूखे पेड़-पौधे या सूखी लकड़ी, ऑयल आदि किसी भी तरह का ज्वलनशील सामान नहीं रखा जाता है। ग्रिड और ट्रांसफार्मर के नीचे की ओर गिट्टी की 5 इंच मोटी परत रहती है।
यह भी पढ़े: सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहेे डॉक्टर इसके अलावा ग्रिड की क्षमता के अनुसार रेत और अग्निशमन के अन्य उपकरणों की व्यवस्था भी रहती है। साथ ही इसे हर समय साफ रखा जाना चाहिए, लेकिन जिस चंबल ग्रिड में आग लगी थी वहां के हाल ही दूसरे थे। यहां ग्रिड के नीचे के हिस्से में गिट्टी तो थी, लेकिन बहुत ही कम मात्रा में। आसपास ऑइल के बैरल रखे थे। वहीं इसके पास में ही स्टोर रूम बनाया गया था, जहां तारों के बंडल सूखी लकडिय़ों के ड्रम रखे थे।
जबकि ग्रिड पर केवल इस्तेमाल योग्य तार ही रखे जाते हैं, वो भी केबल ट्रेंच में से होकर कंट्रोल पैनल तक जाते हैं, बाहर खुले में नहीं रखे जा सकते। ग्रिड के आसपास कई जगह पर ऑइल जमीन पर ही फैला था जिससे आग भडक़ती रही।
यह भी पढ़े: मंत्री सायकल पर अधिकारी गाड़ी परतीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था भी फेल सभी ग्रिड पर किसी भी तरह की दुर्घटना को रोकने के लिए तीन स्तर की सुरक्षा प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है। ग्रिड पर बिजली ट्रांसफार्मर में सप्लाय होती है। यहां से बुकोज में और बुकोज से कंट्रोल पैनल में। इन तीनों स्तर पर ही सुरक्षा के भारी उपकरण लगे होते हैं जो एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर ट्रांसफार्मर की पॉवर सप्लाय को रोक देते हैं।
ऐसे काम करते हैं उपकरण ट्रांसफार्मर में दो तरह के टेम्परेचर इंडिकेटर लगे होते हैं जिनमें लगातार ऑयल टेम्पचेरर और वाइंडिंग टेम्परेचर दर्ज होता रहता है। यदि दोनों में से किसी का भी तापमान बढ़ा तो ये सीधे कंट्रोल पैनल में लगी वीसीबी (वेक्यूम सर्किट ब्रेकर) को इंडिकेशन भेजकर तुरंत उसे ट्रिप कर देता है। इसी तरह से इन दोनों में से किसी में भी धुआं या अन्य तरह की एयर बनी तो तुरंत बुकोज काम करता है और उसमें एयर बनती है जो सेकंड में काम करते हुए वीसीबी को गिरा देती है।
जिससे ट्रांसफार्मर की पॉवर सप्लाय तुरंत बंद हो जाती है। जब तक इसे खोलकर इसकी एयर रिलीज नहीं की जाती तब तक ये काम भी नहीं करता। इसे खोलने के लिए कम से कम कार्यपालन यंत्री स्तर के अधिकारी की सहमती लगती है। चंबल ग्रिड में इसमें से किसी भी सुरक्षा उपकरण ने काम नहीं किया। जो कि बिजली कंपनी में सुरक्षा उपकरणों को लेकर बरती जा रही लापरवाही को उजागर करने के लिए काफी है।