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मंदिर को दान में मिला प्लाट… वैध है या अवैध अब जमीनी हकिकत बता लगा रहा प्रशासन

locationइंदौरPublished: Apr 13, 2019 10:54:08 am

Submitted by:

Mohit Panchal

जमीन कहीं सरकारी तो नहीं, कराई जा रही जांच, दान में मिले प्लॉट का रिकॉर्ड खंगाल रहा मंदिर प्रशासन, दान-पत्र का प्रारूप बनाकर दिया संपत्ति को

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मंदिर को दान में मिला प्लाट… वैध है या अवैध अब जमीनी हकिकत बता लगा रहा प्रशासन

इंदौर। पंद्रह दिनों पूर्व एक भक्त ने खजराना गणेश मंदिर की दान पेटी में 15 गुणा 40 फीट के प्लॉट की रजिस्ट्री डाल दी थी। जब पेटी खोली तो मंदिर प्रशासन के हाथ में आई। अब वह प्लॉट की जमीनी हकीकत तलाश रहा है। ये जिम्मेदारी जिला प्रशासन को दी गई। जांच का मुख्य बिंदू ये है कि जमीन कहीं सरकारी तो नहीं, जिस पर ने प्लॉट काटकर बेच दिए हों।
ढाई माह बाद 27 मार्च को खजराना गणेश मंदिर की दान पेटी खोली गई थी। उसमें विदेशी मुद्रा के साथ-साथ एक रजिस्ट्री भी सामने आई थी, जो टाइल्स फिटिंग का काम करने वाले शंभूराम यादव निवासी गौरी नगर ने डाली थी।
यादव का कहना है कि ढाई लाख रुपए खर्च कर पत्नी के नाम से ये प्लॉट छोटा बांगड़दा स्थित प्रगति नगर में लिया था। मेरी और पत्नी की इच्छा है कि इस पर मंदिर बनाया जाए, लेकिन किसी ने उस पर कब्जा कर लिया। जनसुनवाई में शिकायत भी की, वकीलों के चक्कर भी लगाए लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस पर हमने तय किया कि इसे खजराना गणेश को दान कर दिया जाए।
रजिस्ट्री मिलने के बाद खजराना मंदिर प्रशासन ने यादव से संपर्क किया। बकायदा उन्हें एक दान पत्र का प्रारूप बनाकर दिया, ताकि वे विधिवत् रूप से लिखा-पढ़ी कर सकें। हालांकि इससे पहले रजिस्ट्री मिलने पर पंचनामा बना लिया गया था। यादव परिवार अब दानपत्र बनाने की तैयारी कर रहा है। इधर, जिला प्रशासन इस प्लॉट की जांच करवा रहा है।
इस जांच में ये पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि जमीन कहीं सरकारी तो नहीं है। इसके अलावा ये भी देखा जा रहा है कि सरकारी नहीं हो तो जमीन का मूल मालिक कौन है और प्लॉट की खरीद-फरोख्त बिना टीएंडसीपी व डायवर्शन के कैसे कर दी गई। वहीं कब्जा करने वाली महिला के पास क्या आधार है? सारे तथ्यों के बाद में वह जमीन को अपना नाम कराएगा।
बहुत विवाद हैं छोटा बांगड़दा में
एयरपोर्ट विस्तार के बाद में जैसे ही सुपर कॉरिडोर तैयार हुआ शहर के पश्चिमी क्षेत्र यानी छोटा बांगड़दा व बड़ा बांगड़दा में तेजी से बसाहट हो गई। जमीन मालिकों ने धड़ल्ले से अवैध कॉलोनी काटकर गरीबों को मकान बेच दिए। इसके पीछे एक डर जमीन के अधिग्रहण होने का भी था।
इसके अलावा कई सरकारी जमीनों पर भी भू-माफियाओं ने प्लॉट काटकर बेच दिए। मकानों की संख्या इतनी है कि प्रशासन उन्हें तोडऩे की हिम्मत नहीं कर पा रहा। कई बार नोटिस जारी हुए, लेकिन कोई हल नहीं निकला।

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