याचिका पर शासन की ओर से हाईकोर्ट में जवाब पेश किया गया है। इसमें शासन का कहना है कि महेश्वर का किला खासगी ट्रस्ट का ही है।
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पूर्व दायर जनहित याचिका में जो तथ्य पेश किए गए थे, उसी आधार पर हाईकोर्ट ने 5 अक्टूबर 2020 को आदेश दिया है। चूंकि उक्त आदेश को लेकर अपील सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए आदेश में संशोधन की गुंजाइश नहीं है। इसलिए किला होलकर परिवार को नहीं सौंपा जा सकता।
जस्टिस सुजोय पॉल और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की युगल पीठ ने जवाब रिकॉर्ड पर लेकर चार सप्ताह बाद अगली सुनवाई के आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि खासगी ट्रस्ट की देशभर में अरबों रुपए की संपत्ति है।
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याचिका में तर्क है कि महेश्वर का किला खासगी ट्रस्ट का नहीं है। इसके मालिक रिचर्ड होलकर हैं, इसलिए खासगी ट्रस्ट को लेकर दिए गए आदेश में से महेश्वर के किले का नाम हटाया जाए। कोर्ट के समक्ष होलकर की ओर से कुछ दस्तावेज भी पेश किए गए हैं। अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि शासन के जवाब पर राजवंश की तरफ से प्रति उत्तर आ गया है। इसमें एक बार फिर महेश्वर किले को राजवंश की संपत्ति बताया गया है। हम इस पर दोबारा जवाब देंगे।