कड़ा हाथ में लेकर होते रहे परेशान
देवेंद्र की बहन प्रार्थना के साथ ही कोच और साथी खिलाड़ी एमवाय अस्पताल पहुंचे। शव की हालत काफी खराब हो गई थी। बहन छोटी होने के कारण उसे रोककर साथी शव देखने गए। वह भी देखकर समझ नहीं पा रहे थे कि वह यह शव उसका है कि किसी और का। शव की शिनाख्त के लिए एक मात्र कड़ा उसके हाथ में था। उसका कडा निकालकर बहन को दिया गया, लेकिन सिर्फ कड़े से पहचान करना मुशिकल हो रहा था। घायलों के बीच में होने की बात उसने कही, लेकिन सभी घायलों से बात हो चुकी थी। इसी के चलते उनकी यह उम्मीद भी खत्म हो गई। यह हालत समीर के शव की शिनाख्त को लेकर भी बनी। उसके पारिवारिक मित्र शव दे्खने के लिए आए, लेकिन वह भी उसे पहचान नहीं पा रहे थे। इसी के चलते डीएनए जांच कराने की बात भी चलती रही।
देवेंद्र की बहन प्रार्थना के साथ ही कोच और साथी खिलाड़ी एमवाय अस्पताल पहुंचे। शव की हालत काफी खराब हो गई थी। बहन छोटी होने के कारण उसे रोककर साथी शव देखने गए। वह भी देखकर समझ नहीं पा रहे थे कि वह यह शव उसका है कि किसी और का। शव की शिनाख्त के लिए एक मात्र कड़ा उसके हाथ में था। उसका कडा निकालकर बहन को दिया गया, लेकिन सिर्फ कड़े से पहचान करना मुशिकल हो रहा था। घायलों के बीच में होने की बात उसने कही, लेकिन सभी घायलों से बात हो चुकी थी। इसी के चलते उनकी यह उम्मीद भी खत्म हो गई। यह हालत समीर के शव की शिनाख्त को लेकर भी बनी। उसके पारिवारिक मित्र शव दे्खने के लिए आए, लेकिन वह भी उसे पहचान नहीं पा रहे थे। इसी के चलते डीएनए जांच कराने की बात भी चलती रही।
खाना मत बनाना, मैं आकर बनाऊंगी पापा
आकांक्षा के पिता राजेश अग्रवाल ने बताया कि वह तो अपनी सहेली पूजा के जन्मदिन पर एयरपोर्ट रोड पर जाने का बोल कर गई थी। एक फोटो फ्रेम भी अपने साथ ले गई थी। जिसमें उसका और पूजा का फोटो था। कल रात को उसके घर पर रुकने के बाद दूसरे दिन वापस आना था। उनकी फोन पर बात हुई तो उसने बोला था कि पापा खाना मत बनाना वह आकर बना लेगी। इसके बाद दोपहर दो बजे उसकी एक दूसरी सहेली को फोन आया और तबियत खराब होने की बात कहकर एमवाय अस्पताल जाने के लिए कहा। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि बेटी आखिरकार घर से स्वर्णबाग कैसे पहुंची। उसकी सहेली से पूछताछ की जाना चाहिए।
आकांक्षा के पिता राजेश अग्रवाल ने बताया कि वह तो अपनी सहेली पूजा के जन्मदिन पर एयरपोर्ट रोड पर जाने का बोल कर गई थी। एक फोटो फ्रेम भी अपने साथ ले गई थी। जिसमें उसका और पूजा का फोटो था। कल रात को उसके घर पर रुकने के बाद दूसरे दिन वापस आना था। उनकी फोन पर बात हुई तो उसने बोला था कि पापा खाना मत बनाना वह आकर बना लेगी। इसके बाद दोपहर दो बजे उसकी एक दूसरी सहेली को फोन आया और तबियत खराब होने की बात कहकर एमवाय अस्पताल जाने के लिए कहा। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि बेटी आखिरकार घर से स्वर्णबाग कैसे पहुंची। उसकी सहेली से पूछताछ की जाना चाहिए।
पहले लगा चोर आ गए कॉलोनी में आग लगी तो मदद करने के लिए कई ऐसे लोग भी सामने आए जिनका कोई अपना वहां पर नहीं फंसा था। एजाज खान ने बताया कि बाहर से तेज आवाजें आईं तो उन्हें लगा कि कॉलोनी में चोर आए गए हैं। आवाज सुन बाहर निकले। इस पर घर के पीछे की बिङ्क्षल्डग में धुआं उठ रहा था। इस पर घर की छत पर गए तो खिड़की से एक महिला बचाने के लिए हाथ जोड़े खड़ी हुई थी। जाली से निकला मुश्किल लगा। इस पर बिङ्क्षल्डग के सामने गए. लेकिन वहां से भी गर्मी इतनी थी कि बाहर नहीं निकाल सकते थे। इसलिए वापस पीछे की ओर आए। तब तक उनके साथी इमरान और अजहर बेलिम भी गए थे। पहले खिड़की को छैनी-हथोड़ी से तोडा़। इसी बीच एक तुषार ऊपर से नीचे कूद गया। उसे बाइक पर लेकर निजी अस्पताल ले गए। दो अन्य लोग छत पर थे। उन्हें आसपास की छतों से बाहर निकाला और अस्पताल लेकर गए।
डीेएनए जांच कराएंगे शवों की
मामले में हर पहलू पर जांच की गई है। आरोपी को पकड़ लिया है। पूछताछ की जा रही है। शवों की हालत देखकर उनकी पहचान संभव नहीं है। पहचान पुख्ता करने के लिए डीएनए जांच कराई जा रही है।
हरिनारायण चारी मिश्र, पुलिस कमिश्नर
मामले में हर पहलू पर जांच की गई है। आरोपी को पकड़ लिया है। पूछताछ की जा रही है। शवों की हालत देखकर उनकी पहचान संभव नहीं है। पहचान पुख्ता करने के लिए डीएनए जांच कराई जा रही है।
हरिनारायण चारी मिश्र, पुलिस कमिश्नर