scriptकारम बांध का गड़बड़झाला: निर्माण सिर्फ 70 फीसदी पर पानी भर दिया 100 प्रतिशत | The mess of the Karam dam: construction filled only 70 percent but 100 | Patrika News

कारम बांध का गड़बड़झाला: निर्माण सिर्फ 70 फीसदी पर पानी भर दिया 100 प्रतिशत

locationइंदौरPublished: Aug 19, 2022 01:12:48 am

Submitted by:

Mohammad rafik

बड़ा सवाल: बांध भरने का निर्णय लेने वालों पर चुप्पी क्यों?

कारम बांध का गड़बड़झाला: निर्माण सिर्फ 70 फीसदी पर पानी भर दिया 100 प्रतिशत

कारम बांध का गड़बड़झाला: निर्माण सिर्फ 70 फीसदी पर पानी भर दिया 100 प्रतिशत

हानि के आकलन में भी लापरवाही: अफसरों के मुताबिक मात्र 26 हेक्टेयर भूमि ही हुई खराब
प्रारंभिक जांच में दावा: सिर्फ 20 झोपड़े और 15 ईंट भट्टे बहे, अन्य प्रभावित गांवों में कोई बड़ी हानि नहीं
इंदौर. धार की गहरी नदी कारम पर तीन अरब रुपए के बांध से पानी बहाकर अफसरों ने वाहवाही लूट ली। विभाग के आला अफसरों ने बांध फूटने के लिए जिम्मेदार कंपनी को ब्लैक लिस्ट भी कर दिया, लेकिन तकनीकी अज्ञानता के चलते 70 प्रतिशत निर्माण पर 100 फीसदी बांध भरने का निर्णय लेने वाले अफसरों पर कार्रवाई को लेकर चुप्पी साध ली। आठ दिन बाद भी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट और दोषियों के नाम उजागर नहीं किए गए हैं। इतना ही नहीं, लोक हानि के आकलन में भी घोर लापरवाही करते हुए गांवों को सुरक्षित बताकर जिम्मेदारों को क्लीन चिट दे दी गई। बांंध से बहे पानी से धार व खरगोन जिले के 18 गांव का जनजीवन प्रभावित हुआ है। यहां पर लोक हानि भी हुई है। राजस्व अमले ने जो प्रारंभिक हानि की रिपोर्ट सौंपी है, वह भी चौंकाने वाली है। धार जिले में बांध के आसपास के गांवों में जहांगीरपुरा, गुजरी, कोठींदा, भरूडपुरा, इमलीपुरा, भांडाखो, दुगनी, डेहरिया, सिमराली, सिरसोदिया, डहीवर, लासनगांव, हनुमंतिया में मात्र 26 हैक्टेयर जमीन खराब होना बताया है। यह भी बताया है कि 15 ईंट भट्टे बहे व 20 झोपड़े ही नष्ट हुए हैं। अन्य गांवों को कोई नुकसान नहीं हुआ। इसी तरह खरगोन जिले की महेश्वर तहसील के काकड़दा, मेलखेड़ी, काकरिया, मिर्जापुर गढ़ी, जलकोठा व बड़वी में कोई नुकसान नहीं हुआ है।
गलतियों पर डाल रहे पर्दा
विभागीय सूत्रों के अनुसार, बांध फूटने के बाद जो प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार हुई है, उसमें स्थानीय प्रशासन, जल संसाधन विभाग के अफसरों की बड़ी खामी सामने आई है। विभाग के आला अफसरों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, धार जल संसाधन विभाग और प्रशासन ने बांध में पानी भरने का निर्णय लेने से पहले इसकी तकनीकी जांच नहीं की। वहीं आला अफसरों को इस निर्णय की सूचना तक नहीं दी। जब बांध में बहाव शुरू हुआ तब भी स्थानीय अफसर चुपचाप देखते रहे। 11 अगस्त को सोशल मीडिया पर जानकारी मिली तब हलचल शुरू हुई। कंपनी को मात्र 100 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया, लेकिन काम 304 करोड़ रुपए का किया जा रहा था। जानकारों का कहना है, बांध की तकनीकी रिपोर्ट देखे बिना पानी भरने का निर्णय किसने लिया? इस बिंदु पर जांच होनी चाहिए। क्योंकि, जिस तरह की िस्थतियां बनीं, उससे साफ है कि बांध में कई तकनीकी खामियां थीं। इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी स्थानीय अफसरों की गलतियों पर पर्दा डाला जा रहा है।
कागज लेकर कमेटी रवाना, लोगों का दर्द नहीं देखा
जल संसाधन विभाग कारम बांध को लेकर अफसर, ठेकेदार कंपनियों की गलती के आकलन में लगा है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर जांच कमेटी बनी है, जिसने बुधवार को सिर्फ बांध स्थल को देखकर भोपाल रवानगी डाल दी। सदस्य स्थानीय लोगों के दर्द से रूबरू नहीं हुए। अब वहीं से कागजी पड़ताल कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। वास्तविक रूप से हुई हानि की जांच स्थानीय स्तर पर सौंपते हुए लीपापोती कर दी गई।
चार साल पहले भी कंपनी ब्लैक लिस्ट
जानकारी के अनुसार, कारम बांध घोटाला ई-टेंडर घोटाले का हिस्सा है। चार साल पहले जब एएनएस कंपनी का नाम आया था, तब भी इसे ब्लैक लिस्ट किया गया था। इसके बाद भी इतना बड़ी जिम्मेदारी वाला काम इसी कंपनी से करवाया गया।

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