इंदौर

INTERNATIONAL TIGER DAY : बाघों के लिए शहर में ही बना दिया प्राकृतिक जंगल, दिन-रात लोगों को सुनाई देती है दहाड़

ब्रीडिंग सेंटर बनने के बाद लगातार बढ़ रही संख्या वर्तमान में 18 टाइगर और लायन प्रजाति मौजूद

इंदौरJul 29, 2019 / 02:21 pm

हुसैन अली

‘टाइगर’ के लिए शहर में ही बना दिया प्राकृतिक जंगल, दिन – रात लोगों को सुनाई देती है दहाड़

इंदौर. इंदौर का चिडिय़ाघर (जू) टाइगर प्रजाति के प्रजनन के लिए अनुकूल जंगल सा हो गया है। जू में रह रहे लॉयन व टाइगर के पिंजरे का माहौल ऐसा बनाया गया है कि उन्हें लगाता है मानो वे अपने प्राकृतिक जंगल या सेंचुरी में घूम रहे हैं। इस कारण यहां दोनों प्रजाति तेजी से बढ़ रही हैं। तीन साल पहले जू में एक बूढ़ा शेर और तीन-चार टाइगर थे, इसे टाइगर ब्रीडिंग सेंटर के रूप में विकसित करने से अब यहां टाइगर और लॉयन की संख्या 18 से ज्यादा हो गई है। दिन-रात इनकी दहाड़ सुनाई देती हैं।

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इंदौर का चिडिय़ाघर अब बच्चों और शोधार्थियों के लिए नेचुरल साइंस और एनिमल सायकोलॉजी का केंद्र भी बनता जा रहा है। बीते तीन सालों में इसे प्राकृतिक टाइगर ब्रीडिंग सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसका लाभ हर प्रजाति के जानवरों को हो रहा हैं। चिडि़याघर प्रभारी उत्तम यादव का कहना है कि हमारा फोकस मुख्य रूप से टाइगर व लॉयन प्रजाति के प्रजनन केंद्र को लेकर रहा। इसमें सफलता भी मिली है। यहां ब्रीडिंग के लिए जंगल का वातावरण, प्राकृतिक हेल्थ और प्राणी मनोविज्ञान का समावेश किया है। वर्तमान में यहां रायल बंगाल प्रजाति के 7 व 11 एशियाटिक लॉयन हैं। आठ माह के चार बच्चे हैं, एक बाघिन प्रेग्नेंट है।

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मालवा का तापमान अनुकूल

यादव बताते हैं, मालवा का तापमान पहले से ही एनिमल ब्रीडिंग सेंटर के अनुकूल है। यहां न ज्यादा गर्मी,न ज्यादा सर्दी रहती है। इसके अलावा इंदौर का जू कान्ह-सरस्वती नदी के किनारे होने से एक जंगल का अहसास भी देता है। जू में पेड़ों की जंगली प्रजातियां भी हैं। आमतौर पर जानवरों को जब तक जंगल का वातावरण नहीं मिलता, वह ब्रीडिंग प्रक्रिया के लिए तैयार नहीं होता है।
पहाड़, मचान और नदी किनारा बनाया

टाइगर जंगल में प्रकृति में स्वछंद घूमने वाला प्राणी है। इसके लिए जू में इनके खुले पिंजरों में पहाड़ी, पेड़ पर मचान, जंगली पेड़, नदी का किनारा व वॉटर बॉडी का निर्माण किया गया। इस वातावरण में जब जोड़ा निकलता है तो उसे अनुकूलता मिलती है और वह प्रजनन के लिए प्रयास करता है।
इशारों में दी समझाइश

यादव बताते हैं, टाइगर प्रजाति को नियंत्रण में करने के लिए बहुत ही संभल कर काम करना होता हैं। एक बार एक बाघिन पिंजरे से बाहर आ गई। उसे आहिस्ता-आहिस्ता आंखों के इशारे और मूक भाषा में ऐसी समझाइश दी कि कुछ देर में वापस पिंजरे में लौट आई। पूरे ऑपरेशन में दो कर्मचारियों को सुरक्षित निकाला गया था। जानवरों को उनकी मूक भाषा में समझाना होता है। उनसे एक इंसान की तरह ही प्यार भरी बातें करना होती है।
व्हाइट टाइगर भी दिए

यादव ने बताया, हमारे यहां एक व्हाइट टाइगर का जोड़ा था। फिमेल टाइगर प्रेग्नेंट हुई। उसने पांच बच्चों को जन्म दिया, जिन्हें भोपाल, औरंगाबाद व बिलासपुर सहित पांच स्थानों पर भेजा गया। बाद में मेल टाइगर को ट्यूमर हो गया और फिमेल की प्राकृतिक मौत हो गई। अब फिर एक जोड़ा ला रहे हैं।
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