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जिंदगी में खुशी तभी मिलेगी जब आप मांगने से ज्यादा देने के बारे में सोचेंगे : अदिति

Indore News : ‘द स्काय इज पिंक’ फेम अदिति चौधरी ने फ्लो के कार्यक्रम में शेयर की अपनी जर्नी

इंदौरOct 22, 2019 / 06:10 pm

राजेश मिश्रा

जिंदगी में खुशी तभी मिलेगी जब आप मांगने से ज्यादा देने के बारे में सोचेंगे : अदिति

जिंदगी में खुशी तभी मिलेगी जब आप मांगने से ज्यादा देने के बारे में सोचेंगे : अदिति

इंदौर. हम जिंदगी में छोटी-छोटी परेशानियों पर हार मान लेते हैं। सोचने लगते हैं कि इस चीज के लिए ईश्वर ने मुझे ही क्यों चुना तब 18 साल की उम्र में सीवियर कंबाइन्ड इम्यूनो डिफिशिंयसी (एसएसआइडी) जैसी बीमारी के कारण दुनिया छोडक़र चली जाने वाली आयशा चौधरी सभी को जिंदगी की खूबसूरती का अहसास कराती है। सोमवार को फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन (फ्लो) इंदौर चैप्टर के कार्यक्रम में आयशा चौधरी की मां अदिति चौधरी ने महिलाओं के साथ अपनी जर्नी साझा की। हाल ही में आयशा के जीवन पर स्काई इज पिंक फिल्म का प्रदर्शन किया गया है। इसमें अदिति चौधरी का किरदार प्रियंका चौपड़ा ने निभाया है। आयशा ने अपने स्ट्रगल को लेकर माई लिटिल एपिफैनीज पुस्तक भी लिखी है। कार्यक्रम में सभी फ्लो मेंबर्स पिंक ड्रेसकोड में शामिल हुई थी। अदिति चौधरी का स्वागत फ्लो की चेयरपर्सन भावना भल्ला ने किया।
अदिति ने कहा, मैंने इस बीमारी की वजह से अपनी पहली बेटी तान्या को खो दिया था। आयशा के जन्म के समय मुझे लगा कि अबॉर्शन करवा लेना चाहिए, लेकिन मैंने दिल की बात सुनकर उसे जन्म दिया। लंदन में उसका बोनमेरो ट्रांसप्लांट हुआ। उसके बाद उसे पल्मोनरी फाइब्रोसिस बीमारी हो गई। जब डॉक्टर ने हमें इसके बारे में बताया तो हम सब रो रहे थे, लेकिन वह बहुत शांत थी। मैं जानती हूं कि भगवान से बहुत नाराज थी कि उन्होंने उसके साथ ऐसा क्यों किया। आयशा हमेशा जीना चाहती थी। वह हमेशा कहती थी कि इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि आप ने कितनी लंबी जिंदगी जी, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि आपने उन लम्हों को कितना जिया। उन्होंने कहा, जिंदगी में असली खुशी तभी मिलेगी जब हम दूसरों से मांगने की बजाय उन्हें देने के बारे में सोचेंगे अगर आपने कोई तकलीफ सही है तो दूसरों के दु:ख-दर्द को कम करने का प्रयास करें। यह सबसे बड़ी हीलिंग होगी।
केयर टेकर का खुश रहना प्रभावित करता है
मुझसे अकसर पूछा जाता है कि किसी अपने का जाना तय हो और उस बात को स्वीकार कर आगे बढऩा कितना कठिन होता है तो मैं कहती हूं, मुझे जब पता चला था, मैं काफी निराश हुई थी लेकिन मैंने काफी पढ़ा और एक थैरेपिस्ट होने के नाते मैं जानती थी कि केयर टेकर का खुश रहना कितना प्रभावित करता है।

जिंदगी में खुशी तभी मिलेगी जब आप मांगने से ज्यादा देने के बारे में सोचेंगे : अदिति

खुद को एक्सप्रेस करना सीखें
आयशा को जर्म और इंफेक्शन के डर से कहीं बाहर जाने की इजाजत नहीं थी। एक समय ऐसा भी था जब डॉक्टर, नर्स और मुझे उससे संपर्क में रहने की इजाजत थी। दो गंभीर बीमारियों का डाइग्नोस होने के कारण उसे काफी गुस्सा आता था। तब मैंने उसे एक एंगर डॉल लाकर दी थी। मुझे लगता है कि हमें खुद को एक्सप्रेस करने में किसी तरह का डर या शर्म महसूस नहीं करना चाहिए और न ही अपने बच्चों को ऐसा सिखाना चाहिए। हमारा समाज बहुत सेल्फिश हो गया है। उसने सिर्फ मांगना सीखा है। हम भगवान से शिकायत करते रहते हैं। एक अफ्रीकन महिला भी मेरी ही तरह अपने बेटे को बचाने के लिए संपर्क में आई। मैंने उसे अपने पास बुलाया, लेकिन जब तक वह पहुंचती उसका बेटा नहीं रहा। तब मुझे लगा यह मेरे साथ भी हो सकता था, लेकिन नहीं हुआ। सारी दुनिया में रजिस्टर्ड डोनर की संख्या ३३ मिलियन है जिसमें सिर्फ ५ लाख इंडियन डोनर हैं। हमें ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाने की जरूरत है।

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