खुद को एक्सप्रेस करना सीखें
आयशा को जर्म और इंफेक्शन के डर से कहीं बाहर जाने की इजाजत नहीं थी। एक समय ऐसा भी था जब डॉक्टर, नर्स और मुझे उससे संपर्क में रहने की इजाजत थी। दो गंभीर बीमारियों का डाइग्नोस होने के कारण उसे काफी गुस्सा आता था। तब मैंने उसे एक एंगर डॉल लाकर दी थी। मुझे लगता है कि हमें खुद को एक्सप्रेस करने में किसी तरह का डर या शर्म महसूस नहीं करना चाहिए और न ही अपने बच्चों को ऐसा सिखाना चाहिए। हमारा समाज बहुत सेल्फिश हो गया है। उसने सिर्फ मांगना सीखा है। हम भगवान से शिकायत करते रहते हैं। एक अफ्रीकन महिला भी मेरी ही तरह अपने बेटे को बचाने के लिए संपर्क में आई। मैंने उसे अपने पास बुलाया, लेकिन जब तक वह पहुंचती उसका बेटा नहीं रहा। तब मुझे लगा यह मेरे साथ भी हो सकता था, लेकिन नहीं हुआ। सारी दुनिया में रजिस्टर्ड डोनर की संख्या ३३ मिलियन है जिसमें सिर्फ ५ लाख इंडियन डोनर हैं। हमें ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाने की जरूरत है।