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आरोपी जानू पिता मेहबूब (32) के अलावा उसके साथियों ने भी मूक बधिक बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। हालाकि उस समय जानू पीडि़ता की आंख पर पट्टी बांध देता था, इसलिए उनकी पहचान नहीं हो सकी। कई बार दुष्कर्म के चलते गर्भवती होने के बाद घटना का खुलासा हुआ था।
मूक-बधिर संस्थान के ज्ञानेंद्र और मोनिका पुरोहित की मदद से पुलिस आरोपी को पकड़ सकी थी। इन दोनों ने पीडि़ता की काउंसलिंग की और उसके साथ हुई पूरी घटना जानी। पुलिस के साथ पीडि़ता को घटना स्थल ले गई और तब जाकर आरोपी जानू पुलिस की गिरफ्त में आया था। अदालत ने जानू को दोषी पाते हुए सजा सुनाई है।
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लोक अभियोजक आरती भदौरिया के मुताबिक 9 फरवरी 2017 को ज्ञानेंद्र पुरोहित और चाइल्ड लाइन की टीम ने इस मामले में खजराना थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए केस को फास्ट ट्रेक कोर्ट में चलाया गया।