सोनल माथुर ने बताया कि मेरी मां आशा माथुर हमारे घर के पीछे ही महालक्ष्मी नगर में कुछ सामान लेने गई थीं। तभी पीछे से अचानक एक १४ से १५ साल का लड़का आया और मां के हाथ से पर्स लूटकर भाग गया। मां की उम्र अधिक थी इसलिए पीछा नहीं कर पाई। लड़का वह काफी देर से उनका पीछा कर रहा था, लेकिन वे समझ नहीं पाई कि वह लूट की नीयत से पीछे आ रहा है। उधर, सोनल व उनकी मां ने पुलिस को पूरा घटना क्रम सही बताया, लेकिन पुलिस ने इसमें कहानी ही बदल दी ताकि लूट के मामले को चोरी में बदला जा सके।
पुलिस ने जो एफआईआर लिखी उसमें कहानी बताई कि महिला किराना सामान लेकर लौट रही थी। अचानक घबराकर गिर गई तो उनका पर्स कोई चुराकर ले गया। अधिकांश थाना क्षेत्रों की पुलिस मोबाइल लूट के मामलों में भी उसे लूट के बजाए चोरी का बना देती है। शहर में कई एसी वारदातें हुईं जिसमें बाइक सवार पीछे से आकर मोबाइल लूटकर ले गए, लेकिन पुलिस ने इन मामलों में भी चोरी का प्रकरण दर्ज कर लेती है। पूर्व में भी इसके कई मामले सामने आ चुके हैं। दरअसल पुलिस अपने थाने का ग्राफ सुधारने के चलते लूट को चोरी बना देती है।