scriptकोई रिश्ता-नाता नहीं, फिर भी जान डालते खतरे में | There is no relationship, yet life is in danger | Patrika News

कोई रिश्ता-नाता नहीं, फिर भी जान डालते खतरे में

locationइंदौरPublished: Mar 06, 2021 12:03:07 pm

Submitted by:

Manish Yadav

-मुहाड़ी कुंड में ग्राउंड जीरों की रिपोर्ट- सैकड़ों फीट गहरी खाई में घटनास्थल पर पहुंची न्यूज टुडे की टीम

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मनीष यादव के साथ फोटो जर्नलिस्ट रविन्द्र सेठिया
इंदौर.
गांव के साहसी युवाओं का झुंड, जिनका सैरसपाटे पर निकले शहरी लोगों से कोई रिश्ता-नाता नहीं। इसके बावजूद इंसानियत दिखाते हुए वे विकट परिस्थितियों में मदद को न सिर्फ आगे बढ़े, बल्कि खाई में फंसे छात्र का शव दुर्गम पहाड़ी के पथरीले रास्तों से ऊपर लाकर ही दम लिया।

जहां पैदल चलना भी मुश्किल। ऐसे में कंधों पर बांस-बल्ली पर एक युवक का शव बांधकर सैकड़ों फीट ऊंची खड़ी चढ़ाई खतरों से खेलते हुए चढ़ते जाना। युवक के उससे उनका दूर- दूर से कोई नाता नहीं था। रिश्तेदारी तो दूर, मृतक या उसके परिवार से कभी मिले भी नहीं थे। इसके बाद ही अपनी जान का खतरा उठा रहे है। उनके लिए इंसानियत का तकाजा और मन में यह विचार की घर के चिराग को खो चुके उस परिवार तक जल्द से जल्द उसके को पहुंचाना है, कठीन रास्ते को ही आसान बनाता जा रहा था।

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हम बात कर रहे हैं मुहाड़ी गांव के अनिल मंौर्य, सत्यम, चंदर, अंतरसिंह, देवराज, द्वारका, रामचंद्र, सिपाही रणवीर सिंह गुर्जर और एसआइ विश्वजीत सिंह तोमर की, जो फॉल के पानी में डूब कर जान गंवा चुके हर्ष गुप्ता के शव को खाई से निकालकर ऊपर तक ले जा रहे थे। ऐसे दुर्गम इलाके में न्यूज टुडे की टीम वहां के हालात जानने के लिए सैकड़ों फीट गहरी खाई में उस इलाके तक पहुंची, जहां पर हर्ष डूब गया था।

दुर्गम रास्ता… अच्छे-अच्छों को आ जाए पसीना
न्यूज टुडे टीम दोपहर करीब 12 बजे गांव पहुंची। वहां एक पहाड़ी पर हर्ष के रिश्तेदार पहले से ही मौजूद थे। जब उन्हें हमारा परिचय मिला तो अब तक शांति से बैठे रिश्तेदारों के सब्र का बांध टूट पड़ा। बोले-एसडीइआरएफ की टीम कुंड में गोता लगाने की बजाय कांटे से शव को ढूंढ रही है। ऐसे में तो काफी समय लग सकता है। परिजन से बात करने के बाद हम नीचे उस स्थान पर जाने के लिए निकले, जहां पर यह हादसा हुआ। वहां खड़े कुछ लोगों से बात की तो उन्होंने पानी के छोटे से गड्ढे की ओर इशारा किया और कहा कि वहां पर डूबा है। सैकड़ों फीट की ऊंचाई से वह एक छोटा सा गड्ढा ही नजर आ रहा था, जब आगे रास्ता पूछा तो उन्होंने नीचे खाई और दुर्गम रास्ते के बारे में बताया और नीचे जाते वक्त घूमने या फिर हादसे का शिकार होना भी बताया।

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युवकों से बात की और फिर उन्हें अपने साथ चलने के लिए तैयार किया। उसके बाद अनिल मौर्य और उसके साथी हमारे साथ नीचे तक चलने को तैयार हुए। वे हमारे गाइड बन कर आगे-आगे चल रहे थे। रास्ता बताते हुए हमें संभलकर नीचे उतरने की हिम्मत भी दे रहे थे। भुरभुरी पथरीली चट्टानों से होते हुए हमें नीचे जाना था। उन्होंने हमें जूते उतारने के लिए कहा ताकि आसानी से जा सकें, लेकिन पथरीली जमीन के कारण हिम्मत नहीं हुई। वहां से किसी तरह पगडंडियों के सहारे नीचे उतरना शुरू किया। किसी तरह करीब 45 मिनट चलने के बाद हम नीचे नदी के तल तक पहुंचे। यहां से घटनास्थल करीब आधा किलोमीटर दूर था। नीचे आते हुए एक लड़की की सैंडिल पड़ी हुई नजर आई, जो शायद ग्रुप में शामिल किसी लड़की की होने की संभावना जताई जा रही है।

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…और सामने था हर्ष का शव

आखिर मशक्कत के बाद हम उस स्थान तक जा पहुंचे, जहां हर्ष डूबा हुआ था। एसडीआरएफ की टीम लगातार उसे ढूंढने का प्रयास कर रही थी। उसके दो रिश्तेदार भी नीचे टीम के साथ किनारे पर बैठे थे। इस आस में कि जल्द से जल्द हर्ष का पता चल सके। करीब एक बजे टीम के द्वारा फेंके गए एक कांटे में कुछ वजन महसूस हुआ। सदस्यों को समझते देर नहीं लगी कि शव उसमें अटक चुका है। फौरन पूरी टीम शव बाहर निकालने में लग गई। कुछ देर बाद ही हर्ष का शव पानी के बाहर आ चुका था।

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पानी से निकाला, ऊपर तक कैसे ले जाएं?

एसडीआरएफ की टीम अपना काम कर वहां से जा चुकी थी। इसके बाद का एक और महत्वपूर्ण काम था, सैकड़ों फीट ऊंची खाई के दुर्गम रास्तों से ऊपर तक शव को लेकर जाना। वहां पर मौजूद एसआइ विश्वजीत सिंह तोमर ने ग्रामीणों से बात की। एक व्यक्ति वहां से उठकर गया। कुछ देर बाद देवराज वहां पर एक पेड़ की बड़ी डाली लेकर पहुंचा। उसे काट-छांट कर खटिया का रूप देने की कोशिश की, ताकि शव उस पर बांधकर ऊपर ले जा सकें। पेड़ों की छाल से रस्सी बना कर किसी तरह शव को उस पर रखकर बांधा। ऊपर ले जाने का साधन तो तैयार हो गया, फिर सवाल उठा कि खाई से ऊपर गाड़ी तक कैसे पहुंचाया जाए? वहां मौजूद ग्रामीणों की उम्र ज्यादा थी और परिवार के जो सदस्य थे, वह इस दुर्गम रास्ते पर शव लेकर अकेले नहीं जा सकते थे। ऐसे में हमारे साथ गाइड बनकर आए अनिल मौर्य और उसके साथी मदद के लिए तैयार हुए।

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रास्ते में पांच बार रुके, दम लिया, फिर सीधे ऊपर
शव को घटनास्थल से उठाकर नदी की तलहटी तक लाया गया। जहां से चढ़ाई शुरू होती है, वहां शव रखकर सभी कुछ देर तक सुस्ताए। थोड़ी राहत मिलते ही, फिर ऊपर चढऩा शुरू किया। हर कदम पर कोई न कोई मुसीबत थी। रास्ता इतना संकरा की एक ही व्यक्ति चल सकता। एक-एक कदम बढ़ाकर आगे बढ़ रहे थे। भरी दुपहरी, गर्मी और सीधी चढ़ाई होने के कारण थकान हावी होने लगी थी। पुलिस अधिकारी अब कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते थे। इसके चलते कुछ अंतराल के बाद शव को रखकर आराम किया। सभी की हालत खस्ता देखकर सिपाही रणवीर सिंह गुर्जर ने शव को उठाया और आगे चलना शुरू किया। इसी बीच ऊपर खड़े हुए कुछ युवक वहां आए फिर वह शव को अनिल के साथ ऊपर ले गए। इस पूरे रास्ते के दौरान एक ही सवाल सब के मन में था कि इतने दुर्गम रास्ते से नीचे आने का खतरा हर्ष और उसके साथियों ने आखिर क्यों उठाया?

लगा जैसे कांटा पकडऱ बाहर आ गया
एसडीइआरएफ ने शव को बाहर निकाला सतह पर आने पर उसका हाथ पानी के अंदर फंसे काटे में ऐसा अटका हुआ था, माने उसे पकड़कर बाहर आ रहा हो। बचाव दल ने उसका हाथ निकाला। हर्ष के चेहरे को पानी के अंदर मौजूद जीवों ने खराब कर दिया था। लगातार खून बह रहा था। एक ग्रामीण ने गमछा दिया, जिससे चेहरा ढका गया। इसके बाद आसपास के लोगों की नजर एक किनारे पर पड़ी हुई जैकेट पर पड़ी। वह उसके ही किसी साथी की बताई जा रही है, जो कि कल छूट गई थी। उसे उतारा गया।

नीचे चुल्हे बने हुए थे
खाई में नीचे चुल्हें बने हुए मिले है। उनकी हालत देखकर लग रहा था। हाल ही में उन्हें जलाया गया है, जो कि साफ दर्शाता है कि वहां पर लोगों का आना-जाना है। स्थानीय लोगों की माने तो वहां शेर से लेकर दूसरे जंगली जानवर तक देखे गए है, ऐसे में बाहर व्यक्ति नहीं जाने देते है। इंदौर से आए लड़के लड़कियों को भी मना किया था, लेकिन वह नहीं।

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