ये हैं डीएसपी गीता चौहान। वे छह साल से पीटीसी में आने वाली महिला नवआरक्षकों के लिए प्रभारी अफसर से कहीं बढक़र रही हैं। डीएसपी चौहान की इन 977 नवआरक्षकों के पहले उनके पास ट्रेनिंग करके गई नवआरक्षकों के जीवन में महत्वपूर्ण जगह है। कई बच्चियां 18 साल की उम्र में चयनित होकर आ गईं तो उन्हें परिसर में लोकल गार्जियन के रूप में गीता चौहान मिलीं, जिन्होंने अपनी भूमिका बखूबी निभाई। एसपी तुषारकांत विद्यार्थी ने महिला नवआरक्षकों के लिए प्रभारी के रूप में डीएसपी गीता चौहान को तैनात किया। वे वेलफेयर की भी प्रभारी हैं।
गीता चौहान 2002 में सूबेदार पद पर चयनित हुई थीं। 2013 से पीटीसी में हैं। इस दौरान यहां ट्रेनिंग लेने वाली महिला नवआरक्षकों से आज भी जीवंत संपर्क है। उनके परिवार में पति व दो बेटे हैं। भाई के निधन के बाद भतीजे को भी बेटे की तरह पाला। बेटी की कमी लगी तो पीटीसी में आने वाली हर नवआरक्षक को बेटी मानकर ड्यूटी से ज्यादा दिया। बताया जाता है, वे अपनी कॉलोनी के कई कर्मचारियों की बच्चियों के लिए मां की तरह हैं। किसी कार्यक्रम में जाना हो या पिकनिक मनाने, बेटों-भतीजे के साथ कॉलोनियों की बच्चियां हमेशा रहती हैं। गीता चौहान के मुताबिक, बच्चियों से मेरा लगाव ही कुछ इस तरह है कि जो एक बार मिला वह परिवार का हिस्सा बन गया।