वेंटिलेटर का कहकर मर्चुरी में पटकाः परिजन
हैरान कर देने वाली बात तो उस समय सामने आई जब परिजन ने कहा कि, रात को उनके बेटे हालत बहुत नाज़ुक थी, लेकिन डॉक्टरों का कहना था कि, वह मर चुका है। लेकिन थोड़ी देर बाद ही उसके हाथ पैर हिलते हुए नज़र आए, तो डॉक्टरों द्वारा कहा गया कि, उसे वेंटिलेटर पर रखना पड़ेगा, जिसकी परमीशन उन्होंने खुद मृतक के माता-पिता से ली थी। लेकिन, उसे वेंटिलेटर पर ले जाने के बजाए पोस्टमार्टम रूम में पटक दिया गया, जहां रात भर तड़पने के बाद उसने दम तोड़ दिया।
अस्पताल प्रबंधन का बयान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सड़क दुर्घटना के बाद युवक को डायल 108 की मदद से शहर के एमवाई अस्पताल लाया गया। उस समय ड्यूटी पर तैनात मेडिकल अफसर डॉक्टर आलोक वर्मा ने ही मृतक युवक के कैस को हेंडल किया था। उनका कहना है कि, उन्हें एंबुलेंस टेकनीशियन से पता चला कि, कैलाश चौहान ने उपचार के लिए लाने के दौरान रास्ते में ही दम तोड़ दिया था। जिसके बाद ड्यूटी पर तैनात एक अन्य डॉक्टर ने हमले का शिकार हुए युवक का ईसीजी भी किया, जिसकी जांच में भी यही सामने आया था कि,युवक की मौत हो चुकी है।
मृतक के परिवार का बयान
वहीं दूसरी तरफ कैलाश का माता-पिता एकअलग ही कहानी बता रहे हैं। कैलाश के पिता खिरधर सिंह ने बताया कि, डॉक्टर द्वारा उनके बेटे की इलाज में लापरवाही बरतने के चलते जान गई है। मृतक की मां ने बताया कि, जिस समय घायल हालत में उनके बेटे को लेकर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों को उसकी नाजुक हालत के बारे में बताने के बावजूद वह उसका उपचार करने को तैयार नहीं थे। उनसे जब भी बेटे के उपचार का आग्रह किया, तो वह हर बार यह कहकर टालते रहे कि, अभी दूसरे मरीजों के इलाज में व्यस्त हैं, थोड़ी देर रुकना पड़ेगा। कैलाश के पिता ने यह भी बताया कि, डॉक्टरों द्वारा बनाई गई परिस्थितियों से गुस्सा होतक उन्होंने हंगामा करके इलाज करने का ज़ोर दिया, तब भी डॉक्टरों ने उसका इलाज करने के बजाय एक एयरबैग दे दिया। कुछ देर बाद ड़क्टरों ने कहा कि, कैलाश की मौत हो चुकी है। लेकिन, परिवार के लोगों ने जब कलाश को देखा तो उसके हाथ-पैर हरकत कर रहे थे। जिसपर डॉक्टरों ने जांच करते हुए परिजन से कहा कि, उनके पुत्र के जीवित रहने के चांसेस सिर्फ दस फीसद हैं, इसलिए उसे तुरंत वेंटिलेटर पर रखना पड़ेगा। जिसकी परमीशन रात में ही परिजन ने दे दी। परिजन ने आरोप लगाया कि, लेकिन उनके बेटे को आईसीयू ले जाने की बजाय फअऱभँदऩ ऩए मुर्दाघर में पटकवा दिया।
दूसरे अस्पताल के डॉक्टर ने बताया अनुभव
शुक्रवार सुबह पुलिस परिवार की शिकायत पर अस्पताल पहुंची और उनका बयान लिया। कैलाश के पिता ने कहा कि वह यह देखकर हैरान थे कि उनके बेटे को वेंटिलेटर की जगह मुर्दाघर में रखा गया था। जब पीड़ित के परिवार की ही एक नर्स ने देखा तो उसकी सांसे चल रही थीं। उसे लगा कि वह बच सकता है तो परिजन उसे ग्रेटर कैलाश अस्पताल लेकर गए। जिसके बाद वहां के डॉक्टर विजय पावडे ने उसे मृत घोषित कर दिया। मामले को लेकर दूसरे अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि, ‘मेरा अनुभव बताता है कि पीड़ित की मौत उस एक से डेढ़ घंटे के बीच हुई है जब उसे दूसरे अस्पताल में लाया जा रहा था। लेकिन उसकी मौत का सही समय तो पोस्टमार्म रिपोर्ट से ही सामने आ पाएगा।