विधानसभा हारे तो बना ली दूरी
रतलाम से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार पारस सकलेचा भी लोकसभा में मैदानी सक्रियता कहीं भी नजर नहीं आ रही है। रतलाम ग्रामीण सीट से उम्मीदवार रहे लक्क्ष्मणसिंह डिंडोर की भी कमोबेश यही स्थिति है। देखा जाए तो पूरे चुनाव में अभी रतलाम की तीनों सीटों पर कांग्रेस का बहुत ज्यादा जोर दिखाई नहीं दे रहा है। प्रत्याशी व पति के हाथ में कमान
दूसरी ओर भाजपा की बात की जाए तो पूरा चुनाव प्रचार उम्मीदवार अनिता सिंह व उनके पति नाहरसिंह के हाथ में है। इस क्षेत्र से सांसद रहे गुमानसिंह डामोर भी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। उनकी अनुपस्थिति भी भाजपा में चर्चा का विषय बनी हुई है। सूत्र बताते हैं कि पारिवारिक कारणों के आधार पर उनकी अभी यह दूरी बनी हुई है।
मंदसौर-नीमच लोकसभा सीट की बात की जाए तो वहां भी कुछ ऐसी ही परिस्थिति बनी हुई है। दो बार के सांसद सुधीर गुप्ता तीसरी बार भाजपा के टिकट पर मैदान में है। वहां से विधायक राजेंद्र पांडेय की भी दावेदारी थी, गुप्ता को टिकट मिला लेकिन पांडेय की सक्रियता कहीं नजर नहीं आ रही है। दावेदारी जताने वाले महेंद्र भटनागर, अनिल कियावत, पूर्व विधायक यशपालसिंह सिसौदिया मुख्य थे, इनकी उपस्थिति बैठकों तक ही सीमित नजर आ रही हैं।
दूसरी ओर भाजपा की बात की जाए तो पूरा चुनाव प्रचार उम्मीदवार अनिता सिंह व उनके पति नाहरसिंह के हाथ में है। इस क्षेत्र से सांसद रहे गुमानसिंह डामोर भी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। उनकी अनुपस्थिति भी भाजपा में चर्चा का विषय बनी हुई है। सूत्र बताते हैं कि पारिवारिक कारणों के आधार पर उनकी अभी यह दूरी बनी हुई है।
मंदसौर-नीमच लोकसभा सीट की बात की जाए तो वहां भी कुछ ऐसी ही परिस्थिति बनी हुई है। दो बार के सांसद सुधीर गुप्ता तीसरी बार भाजपा के टिकट पर मैदान में है। वहां से विधायक राजेंद्र पांडेय की भी दावेदारी थी, गुप्ता को टिकट मिला लेकिन पांडेय की सक्रियता कहीं नजर नहीं आ रही है। दावेदारी जताने वाले महेंद्र भटनागर, अनिल कियावत, पूर्व विधायक यशपालसिंह सिसौदिया मुख्य थे, इनकी उपस्थिति बैठकों तक ही सीमित नजर आ रही हैं।
कांग्रेस ने नागदा के पूर्व विधायक दिलीप गुर्जर को टिकट दिया है। वैसे यहां से विधायक विपिन जैन, सुभाष सोजतिया के नाम चले थे। तीसरा नाम तय होने से अब इनकी उपस्थिति नजर आ रही है, लेकिन विधानसभा चुनाव लड़े राकेश पाटीदार, वीरेंद्रसिंह सोलंकी प्रचार अभियान में नजर आते है। अलग मैदानी सक्रियता का अभी इंतजार है। कुछ नेता पार्टी की बैठकों में दिख जाते हैं, लेकिन मैदान में दिखाई नहीं दे रहे हैं।