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हजारों लोगों ने महसूस किया दिल का प्रकाश

locationइंदौरPublished: Jul 20, 2019 06:14:46 pm

हार्टफुलनेस के कार्यक्रम में सीखी ध्यान की तकनीक

Dhyanotsav

हजारों लोगों ने महसूस किया दिल का प्रकाश

इंदौर. समय के साथ जिस तरह से जीवनशैली बिगड़ती जा रही है, उससे हर व्यक्ति कहीं न कहीं तनाव का शिकार हो रहा है। वह कब डिप्रेशन, ब्लडप्रेशर और एंजाइटी जैसी बीमारियों से घिर जाता है, पता भी नहीं चलता। इसी बात को ध्यान में रखते हुए खेल प्रशाल में संस्था हार्टफुलनेस द्वारा तीन दिवसीय ध्यानोत्सव की शुरुआत हुई। ध्यानोत्सव में पहले दिन 5 हजार से अधिक सरकारी अधिकारी, कर्मचारी और नागरिकों ने मेडिटेशन प्रक्रिया को समझा और महसूस किया।
सुबह के सत्र में कमिश्नर आकाश त्रिपाठी और एसएसपी रुचि वर्धन मिश्र ने अपने अनुभवों को साझा किया। कमिश्नर आकाश त्रिपाठी ने कहा, आज अधिकतर लोग तनावग्रस्त जीवनशैली से जूझ रहे हैं। इस तरह के आयोजन और सामान्य मेडिटेशन क्रियाएं हर व्यक्ति को अपनाना चाहिए। हम दिनभर भागदौड़ में लगे रहते हैं, लेकिन खुद के लिए 10 मिनट का भी समय नहीं निकाल पाते। यदि हम दिन का एक हिस्सा खुद को देने लगेंगे तो और अधिक ऊर्जा व सकारात्मकता के साथ अपने लक्ष्य पूरे कर पाएंगे। एसएसपी रुचि वर्धन मिश्र ने कहा, मेडिटेशन दिल से जुड़ी प्रक्रिया है और यदि हम दिल की ताकत को पहचान जाएंगे तो मेडिटेशन के सही अर्थ भी समझ जाएंगे। एसएसपी ने रिलेक्सेशन और प्राणाहुति के द्वारा हृदय पर ध्यान केंद्रित करने की कला के बारे में भी जानकारी दी। इसके बाद प्रशिक्षक पीसी शर्मा ने लोगों को चार चरणों में ध्यान की पूरी प्रक्रिया को समझाया।
लोगों ने सीखे सरल ध्यान के चार चरण
1. रिलेक्सेशन
आराम से बैठकर शरीर को ढीला छोडऩा और हृदय की धडक़नों को महसूस करना। इसके बाद हृदय के दिव्य प्रकाश को महसूस करना और उस पर ध्यान केंद्रित करना।
2. प्राणाहुति
भटकते हुए मन को नियंत्रित करें और मन में आ रहे विचारों से ध्यान हटाकर हृदय के प्रकाश पर ध्यान केंद्रित करें। महसूस करें कि आप इस प्रकाश में डूबते जा रहे हैं।
3. सफाई
सोचें कि शरीर और मन के सारे विकार सिर के ऊपरी भाग से होते हुए रीड की हड्डी के निचले भाग से बाहर निकल रहे हैं। यह धुंए या भाप के रूप में आपसे दूर जा रहे हैं।
4. रात्रि प्रार्थना
10 मिनट तक ईश्वर को याद करते हुए प्रार्थना करें और उसमें डूब जाएं। यह सभी चीजें प्रतिदिन करें और इन्हें जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं।

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