scriptऔषधीय पौधों की प्रजाति बचा कर खुशहाल गणतंत्र का दिया संदेश | to give a good message for save medisonal plant on republic day | Patrika News

औषधीय पौधों की प्रजाति बचा कर खुशहाल गणतंत्र का दिया संदेश

locationइंदौरPublished: Jan 25, 2020 02:09:02 pm

मालवा मंथन के आरोग्य प्रकल्प की पहल

इंदौर, आजादी के बाद से ही हम खुशहाल गणतंत्र की कल्पना कर रहे हैं। इसके लिए अलग-अलग तरह की पहल की जा रही है। कोई संरक्षण पर तो कोई नवाचार पर काम कर रहे हैं। संस्था मालवा मंथन के प्रकल्प आरोग्य संपदा ने एक अनूठा आयोजन कर गण-तंत्र में खुशहाली का संदेश दिया। संस्था प्रकृति को बचाने का काम कर रही है। गुरुवार को दाउदी बोहरा समाज के स्कूल अम्मार-बाग-एे-नौनिहाल हायर सेंकेन्ड्री स्कूल के बच्चों के साथ औषधीय पौधों का रोपण कर इनकों सरंक्षित करने का संदेश दिया। क्योंकि समय के साथ इन पौधों की प्रजातियां दुर्लभ होती जा रही है।
संस्था मालवा मंथन पर्यावरण के प्रति जागरूकता-संरक्षण का काम कर रही है। इसके लिए अलग-अलग तरह के प्रयोग किए जा रहे है। पानी संरक्षण के लिए उपयोग और पुर्नभरण पर जोर दिया जा रहा है। स्वच्छता में पुर्नचक्रण का काम कर रहे है। वहीं प्राकृतिक पौधों को बचाने और इनके उपयोग का महत्व समझाने का काम किया जा रहा है। संस्था के स्वप्निल व्यास का कहना है, इसके लिए स्कूल-कॉलेज के बच्चों को फोकस किया जा रहा है। साथ ही इन पेड़ों की जानकारी दी जा रही है। इसी को देखते हुए गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम दाउदी बोहरा समाज के स्कूल में आयोजित किया गया। इसमें भारत के राष्ट्रीय पेड़ के साथ बारह राज्यों के राजकीय पेड़ व औषधीय पौधों का रोपण किया गया। अतिथियों ने बताया, कार्यक्रम सिर्फ पौधा लगाने के लिए नहीं है बलकि प्राकृतिक जिम्मेदारी की समझ विकसित करने के लिए है। इस मौके पर प्रो. वंदना जोशी, मुफज्ज्ल हुसैन जोहर, प्रचार्य हुसैन भाई सहर, भाई महुवाला, शेख महोम्मद भाई दलाल, श्रीकांत भाटे व अन्य उपस्थित रहें।
बारह राज्यों के राजकीय पौधे रोपें स्कूल में तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय, नीम, बेलपत्र, आडूसा, हरड, गुगल, जामुन, जैसे २६ तरह के औषधीय पौधों के साथ राज्यों के राजकीय पौधें भी लगाए। भारत का राष्ट्रीय, मप्र व उड़ीसा का राजकीय वृक्ष – बरगद, आंध्र पदेश – नीम, बिहार, हरियाणा – पीपल, गुजरात, महाराष्ट्र – आम, पंजाब-शीशम, राजस्थान – खेजड़ी, उत्तरप्रदेश – अशोक, पांडिचेरी – बेल।
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