पश्चिम क्षेत्र बिजली वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक विकास नारवाल ने पिछले दिनों जहां बिजली अफसरों की क्लास लगाकर व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए निर्देशित किया था, वहीं कंपनी क्षेत्र में आने वाले इंदौर शहर, देवास, शाजापुर, खंडवा और खरगोन का भ्रमण किया। इसी दौरान उन्हें बड़ी संख्या में तार झूलते नजर आए थे, जो जमीन से पर्याप्त ऊंचाई पर न होकर मापदंड अनुसार सुरक्षित नहीं थे। झूलते तार हादसों को न्योता देते दिखे, इनसे जान-माल को खतरा भी हो सकता है। शहर में जगह-जगह झूलते तारों में सामान लादकर ले जाने वाले वाहन अकसर उलझ जाते हैं। इस कारण तार सडक़ पर गिरने के साथ कंरट फैलने का खतरा रहता है। तार टूटने से बत्ती अलग गुल हो जाती है। इससे परेशानी आम जनता को ही होती है।
हो चुके अनेक हादसे झूलते बिजली तारों की वजह से अनेक हादसे हो चुके हैं। अब इन्हें रोकने के लिए कंपनी क्षेत्र के इंदौर शहर, इंदौर ग्रामीण, झाबुआ, धार, आलीराजपुर, बड़वानी, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर, आगर, उज्जैन, देवास जिले के अधीक्षण यंत्रियों को तीन माह मार्च, अप्रैल, मई में अपने कार्यक्षेत्र के सभी इलाकों में ऐसे झूलते तारों को 12 से 15 फीट ऊंचा करने के निर्देश प्रबंध निदेशक नरवाल ने जारी किए हैं। तय समय में काम न होने पर कार्रवाई की जाएगी। निर्देश के बाद से अधीक्षण यंत्री काम को करने की प्लानिंग पर लग गए हैं।
ऐसे होगा काम अधीक्षण यंत्रियों को बिजली डिविजन, जोन या वितरण केंद्रों से झूलते तारों वाले इलाकों में सुधार के लिए कहा है। इन तारों को कसा जाएगा, जो तार कमजोर स्थिति में हैं, उन्हें बदला जाएगा। साथ ही पोल कमजोर हुआ तो उसे भी बदला जाएगा।
स्टॉक पूरा रखें प्रबंध निदेशक नरवाल ने बिजली वितरण कंपनी मुख्यालय के स्टोर प्रभारी नरेशचंद्र गुप्ता को तारों को ऊंचा करने और गुणात्मक सुधार के लिए जरूरी सामग्री का स्टॉक रखने के आदेश जारी किए हैं, ताकि कंपनी क्षेत्र के सभी 450 बिजली वितरण केंद्रों पर सुधार कार्य के दौरान कोई बिजली सामग्री कम न रहे।
कम होगा नुकसान बिजली लाइनों को सुधारने की योजना से कंपनी को ही लाभ मिलेगा। लाइनें ठीक रहेंगीं, तार झूलते नहीं रहे तो नुकसान कम होगा। काम पूरा होने पर कंपनी के खर्च बाद में कम होंगे। दूसरी ओर बिजली प्रवाह ठीक से होने पर बिजली बगैर बिके व्यर्थ नहीं जाएगी।
मेरा मानना है कि तार 12 से 15 फीट की ऊंचाई पर होना चाहिए। इसका लक्ष्य प्रत्येक अधीक्षण यंत्री को दिया गया है। इससे न केवल हमारे संसाधनों की हिफाजत होगी, बल्कि जान- माल की क्षति होने का अंदेशा भी खत्म हो जाएगा।
– विकास नरवाल, एमडी मप्रपक्षेविविकं
– विकास नरवाल, एमडी मप्रपक्षेविविकं