रमेश यादव ने 1992 से इंदौर रेलवे स्टेशन के पार्सल कार्यालय में लेबर कांट्रेक्टर का काम शुरू किया था। पिछले कुछ सालों से ठेका लेने के लिए टेंडर भी भर रहे थे, लेकिन हर बार रेलवे अफसरों द्वारा टेंडर दूसरी पार्टी को दिया जा रहा था। पिछले कुछ महीनों से यादव को इंदौर स्टेशन पर व्यापारियों का पार्सल भी लोड-अनलोड नहीं करने दिया जा रहा था। परेशान होकर वे उज्जैन रेलवे स्टेशन पार्सल में काम करने लगे थे। यहां भी मंडल अफसरों ने उन्हें जीआरपी द्वारा उलझा दिया गया।
रमेश यादव के वकील विकास भट्ट ने बताया कि उज्जैन स्टेशन पर पार्सल में गौरव और गणेश नाम के दो लोग ठेकेदार के साथ काम कर रहे हैं। गुरुवार को रमेश यादव से कुछ बाहरी लोगों ने विवाद किया था। इसके बाद जीआरपी उज्जैन पुलिस ने रमेश यादव के खिलाफ धारा ३२३, २९४ और ५०६ में प्रकरण दर्ज कर लिया। जबकि पहले जांच की जाना थी। शुक्रवार शाम को रमेश यादव को थाने से जमानत कर इंदौर लेकर आए। रात को घर पर रमेश ने बेटे राजकुमार को उज्जैन में हुए घटनाक्रम की जानकारी दी। इससे परेशान राजकुमार ने एसिड पी लिया और शनिवार दोपहर को उसकी मौत हो गई। आत्महत्या के पीछे राजकुमार के पिता रमेश यादव ने रतलाम मंडल के डीसीएम अजय बी ठाकुर, सीपीएस अनिल त्रिवेदी, इंदौर पार्सल ठेकेदार टीना बोरासी और उज्जैन जीआरपी टीआई नितिन बाथम का नाम लिया है।