नवरात्रि के खास भजन 1 – तेरी मूर्ति जब से मन में बसा ली
तेरी मूर्ति जब से मन में बसा ली है घर में हमारे मां हर दिन दिवाली
तेरी मूर्ति जब से मन में बसा ली
तेरी मूर्ति जब से मन में बसा ली है घर में हमारे मां हर दिन दिवाली
तेरी मूर्ति जब से मन में बसा ली
मिला तेरी भक्ति का दाती ये फल
भक्ति का ये फल
भक्ति का ये फल
जहा झोपड़ी थी वहां अब महल है
वहां अब महल है…. 2 – रूप कन्या का अपना बनाया मां ने भक्तो को दरश दिखाया
रूप कन्या का अपना बनाया मां ने भक्तो को दरश दिखाया
भक्ति का ये फल
भक्ति का ये फल
जहा झोपड़ी थी वहां अब महल है
वहां अब महल है…. 2 – रूप कन्या का अपना बनाया मां ने भक्तो को दरश दिखाया
रूप कन्या का अपना बनाया मां ने भक्तो को दरश दिखाया
सर पे चुनरी है लाल लाल बिंदिया कमाल
सर पे चुनरी है लाल लाल बिंदिया कमाल
सर पे चुनरी है लाल लाल बिंदिया कमाल
लाल हाथो में मेहदी रचाया मां ने भक्तों को दरश दिखाया…. 3- कभी दुर्गा बनके कभी काली बनके
चली आना मइया जी चली आना
कभी दुर्गा बनके कभी काली बनके
चली आना मइया जी चली आना
सर पे चुनरी है लाल लाल बिंदिया कमाल
सर पे चुनरी है लाल लाल बिंदिया कमाल
लाल हाथो में मेहदी रचाया मां ने भक्तों को दरश दिखाया…. 3- कभी दुर्गा बनके कभी काली बनके
चली आना मइया जी चली आना
कभी दुर्गा बनके कभी काली बनके
चली आना मइया जी चली आना
तुम दुर्गा रूप में आना तुम दुर्गा रूप में आना
तुम दुर्गा रूप में आना तुम दुर्गा रूप में आना सिंह साथ ले के चक्र हाथ लेके
चली आना मइया जी चली आना
कभी दुर्गा बनके कभी काली बनके
चली आना मइया जी चली आना….
तुम दुर्गा रूप में आना तुम दुर्गा रूप में आना सिंह साथ ले के चक्र हाथ लेके
चली आना मइया जी चली आना
कभी दुर्गा बनके कभी काली बनके
चली आना मइया जी चली आना….
4 – मैं तो मइया के द्वारे गयी जो मांगी वो पा गयी
मैं तो मइया के द्वारे गयी जो मांगी वो पा गयी मैं तो गयी थी सोच के मन में
दु:ख ही दु:ख था इस जीवन में
मैं तो विपदा की मारी गयी जो मांगी वो पा गयी
मैं तो मइया के द्वारे गयी जो मांगी वो पा गयी…..
मैं तो मइया के द्वारे गयी जो मांगी वो पा गयी मैं तो गयी थी सोच के मन में
दु:ख ही दु:ख था इस जीवन में
मैं तो विपदा की मारी गयी जो मांगी वो पा गयी
मैं तो मइया के द्वारे गयी जो मांगी वो पा गयी…..
5- सातवा जब नवरात्र हो, आनंद ही छा जाता।
अन्धकार सा रूप ले, पुजती हो माता॥ गले में विद्युत माला है, तीन नेत्र प्रगटाती।
धरती क्रोधित रूप, मां चैन नहीं वो पाती॥ गर्दब पर वो बैठ कर, पाप का भोज उठाती।
धर्म की रखती मर्यादा, विचलित सी हो जाती॥
अन्धकार सा रूप ले, पुजती हो माता॥ गले में विद्युत माला है, तीन नेत्र प्रगटाती।
धरती क्रोधित रूप, मां चैन नहीं वो पाती॥ गर्दब पर वो बैठ कर, पाप का भोज उठाती।
धर्म की रखती मर्यादा, विचलित सी हो जाती॥
भूत प्रेत को दूर कर, निर्भयता है लाती।
योगिनिओं को साथ, ले धीरज वो दिलवाती॥…. 6 – हाथ जोड़ के खड़ी हूं तेरे द्वार मेरी मां
हाथ जोड़ के खड़ी हू तेरे द्वार मेरी मां
पूरी कर दे मुरादे एक बार मेरी मां
तेरी कंजके बिठाओ पूरी हलवा खिलाऊं
तेरी ज्योत जगाऊं लाल चुनरी चढ़ाऊं माता
रानियें हो माता रानियें माता रानियें हो माता रानियें
हाथ जोड़ के खड़ी हू तेरे द्वार मेरी मां
पूरी कर दे मुरदे एक बार मेरी मां
तेरी कंजके बिठाऊं पूरी हलवा खिलाऊं
तेरी ज्योत जगाऊं लाल चुनरी चढ़ाऊं….
योगिनिओं को साथ, ले धीरज वो दिलवाती॥…. 6 – हाथ जोड़ के खड़ी हूं तेरे द्वार मेरी मां
हाथ जोड़ के खड़ी हू तेरे द्वार मेरी मां
पूरी कर दे मुरादे एक बार मेरी मां
तेरी कंजके बिठाओ पूरी हलवा खिलाऊं
तेरी ज्योत जगाऊं लाल चुनरी चढ़ाऊं माता
रानियें हो माता रानियें माता रानियें हो माता रानियें
हाथ जोड़ के खड़ी हू तेरे द्वार मेरी मां
पूरी कर दे मुरदे एक बार मेरी मां
तेरी कंजके बिठाऊं पूरी हलवा खिलाऊं
तेरी ज्योत जगाऊं लाल चुनरी चढ़ाऊं….
7- जिस घर में मां की ज्योत जले वो घर है किस्मत वाला ||
सोये भाग जगाने खुद आय मात जवाला || हो हो हो हो हो हो हो हो हो ……….
हो हो हो हो हो हो हो हो……
सोये भाग जगाने खुद आय मात जवाला || हो हो हो हो हो हो हो हो हो ……….
हो हो हो हो हो हो हो हो……
जिस घर में मां के चरण पड़े अन धन से रहे भंडार भरे ||
हर मुश्किल आसान हो जाए रहे संकट हरदम परे परे ||
जीवन की डगर पे मिलता है जय हो
जीवन की डगर पे मिलता है पग पग पर उसे उजाला
अरे सोया भाग जगाने खुद आय मात जवाला
सोये भाग जगाने खुद आय मात जवाला
हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो। …………….
हर मुश्किल आसान हो जाए रहे संकट हरदम परे परे ||
जीवन की डगर पे मिलता है जय हो
जीवन की डगर पे मिलता है पग पग पर उसे उजाला
अरे सोया भाग जगाने खुद आय मात जवाला
सोये भाग जगाने खुद आय मात जवाला
हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो। …………….