साथी बाद में अस्पताल लेकर पहुंचे जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस ने मर्ग कायम किया। सोमवार को एमवायएच अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद शव परिजन को सौंपा गया। साथी जय पंवार के मुताबिक, कुछ महीने पहले यश के साथ मिलकर एडवेंचर ग्रूप आरंभ न शुरू किया। इसमें यश, जय, रीतेश शामिल थे। इनके प्रमुख रजत सिंह है। रजत सिंह ने सभी को ट्रैकिंग का प्रशिक्षण दिया। सोशल मीडिया के जरिए ट्रैकिंग करने वाले युवाओं को आसपास के इलाकों में ले जाते। रविवार को 60-70 युवकों के ग्रुप को लेकर कंपेल इलाके के छोटी गिदिया खोह गए। खाई में यश घुटने घुटने पानी में उतरा, लेकिन झटका लगा और वह पानी में गिर गया। साथियों ने 2-3 मिनट में ही निकाल लिया। सास देने की प्रारंभिक प्रक्रिया की और एम्बुलेंस को कॉल किया।
इकलौता बेटा था यश
परिजन के मुताबिक, यश के पिता प्रकाश बौरासी उमरीखेड़ा में जोड़ते और छुट्टी वाले दिन समाजसेवा करते हैं। यह उनका इकलौता बेटा था। परिवार में मां और एक छोटी बहन है। गांव के युवकों को घटना का पता चला तो वे लोग छोटी गिदिया खोह स्थित घटना स्थल पर पहुंचे। यश को खोह से निकालकर अस्पताल से जाने में मदद भी की लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
एडवेंचर ग्रुप का रजिस्ट्रेशन नहीं, तीसरी बार गए थे ट्रैकिंग पर
यश, जय पंवार आदि ने स्टार्टअप की तहत एडवेंचर ग्रुप शुरू किया था। करीब डेढ़ साल से ग्रुप को ट्रैकिंग करवा रहे थे लेकिन कई तरह की लापरवाही बरती जिसका खमियाजा भुगतना पड़ा। नियमानुसार एडवेंचर ग्रुप का रजिस्ट्रेशन कराना होता है, ट्रैकिंग के दौरान सुरक्षा के तमाम प्रबंध करना होते हैं लेकिन यहां कमी रही। जय पंवार ने माना कि रजिस्ट्रेशन नहीं कराया लेकिन अप्लाय कर दिया था। सुरक्षा संसाधन के प्रबंध किए थे। तीसरी बार ट्रैकिंग पर गए थे और हादसा गया।
आरोप-डॉक्टर ने नीचे उतरने से इनकार किया
जय के मुताबिक, 108 एम्बुलेंस खोड से 2 किमी दूर आकर रुकी। योपड़िया से एम्बुलेंस तक गए लेकिन पायलेट व डॉक्टर ने आगे जाने से इनकार कर दिया। ग्रामीणों की मदद से यश को एम्बुलेंस तक लाए। इसमें 2-3 घंटे से ज्यादा समय लग गया। एम्बुलेंस स्टाफ ने मदद नहीं की। यहां से इंडेक्स मेडिकल कॉलेज ले गए तो एमवायएच अस्पताल भेज गया। एमवायएच में डॉक्टरों ने मृत घोषित दिया। को पानी से निकाला तो सासें चल रही थीं। एम्बुलेंस के डॉक्टर इलाज शुरू कर देते तो जान बच सकती थी।