इंदौर

नेग मांगने वाले किन्नरों के लिए मिसाल बनी इंदौर की संध्या, दिवाली पर किया ये बड़ा काम

सत्य साईं चौराहे पर लगा रही दीये की दुकान, हर दिन कमा रही 3 से 4 हजार रुपए

इंदौरNov 07, 2018 / 11:40 am

Sanjay Rajak

नेग मांगने वाले किन्नरों के लिए मिसाल बनी इंदौर की संध्या, दिवाली पर किया ये बड़ा काम

संजय रजक/अजय तिवारी. इंदौर. किन्नर शब्द सुनते ही, हमारे जेहन में शुभ अवसरों पर बधाई देने वाले और नेग मांगने वाले नजर आते हैं, लेकिन अब यह नजरिया बदलने लगा है, क्योंकि किन्नर भी अब बदलाव की राह पर चल पड़े हैं। इंदौर में एक किन्नर ने बधाई और मांगने का काम छोड़ समाज की मुख्यधारा में जुडऩे का निर्णय लिया और सत्यसाईं चौराहे पर खुद की दीए और सजावटी सामान बेचने की दुकान खोली है।
ये किन्नर हैं संध्या संदीप। उनकी कहानी बयां करती है कि हमें भी मुख्यधारा में जुड़ रहे किन्नरों का उतना ही सम्मान करना चाहिए, जितना कि हम दूसरों का करते हैं, क्योंकि बदलाव शुरू हो चुका है। संध्या संदीप ने बताया कि पिछले वर्ष दोस्त की दुकान पर काम किया था, यहां आने वाले लोगों ने हौसलाअफजाई की तो इस बार विजयनगर स्थित सत्य साईं चौराहे पर खुद की शॉप खोल ली।
संदीप से संध्या बनने तक का… यह है सफरनामा

बकौल संध्या मैं देवास में पली-बढ़ी, लेकिन घर से लेकर स्कूल तक अहसास कराया गया कि मैं अलग हूं। मैं सिर्फ इतनी अलग हूं कि हूं तो लड़का, लेकिन जज्बात लड़कियों के हैं। 12वीं पढऩे के बाद पहले देवास छोड़ा और इंदौर आकर कॉल सेंटर में जॉब किया, लेकिन कोई दोस्त नहीं था, जिसके साथ अपने जज्बात शेयर कर सकूं । कोई साथ नहीं देता है। इसके बाद बदलाव समिति को ज्वॉइन किया। वहां खुद को पहचानने का मौका मिला। फिर समिति के एड्स प्रोजेक्ट से जुड़ी और काम किया। प्रोजेक्ट पूरा होने पर खंडवा आई और ट्रेनों में पैसा मांगना शुरू किया। यहां भी लोगों के कमेंट्स सुनने के बाद वापस इंदौर आ गई। फिर दोबारा समिति से जुड़ी और यहां काम शुरू किया। पिछले साल से खुद का काम कर रही हूं।
लोगों का नजरिया बदले

संध्या बताती हैं कि आम लोगों को एलजीबीटी को लेकर नजरिया बदले इसलिए दुकान खोली है, क्योंकि लोगों को लगता है कि किन्नर सिर्फ बधाई देने का काम करते हैं। कोशिश है कि मुझे देखकर मेरी कम्यूनिटी के लोग भी स्वरोजगार की ओर आगे बढ़ें और समाज की मुख्य धारा से जुड़ें। यहां दिन 3 से 4 हजार रुपए तक का बिजनेस हो जाता है।
मांग कर कब तक खाएंगे

संध्या ने बताया कि दुकान पर आने वाले ग्राहक बोलते हैं कि आपको दुकान लगाने की जरूरत क्या है। आप तो बधाई देकर ही हजारों रुपए कमा सकती हैं, तब मैं कहती हूं कि कब तक मांग कर खाएंगे, आप लोग साथ देंगे तो ऐसे ही बदलाव की बायार जारी रहेगी।
बिरादरी से बराबर मिला सपोर्ट

संध्या ने बताया कि मेरे समाज के लोगों ने कभी काम करने से नहीं रोका-टोका है, बल्कि हौसला -आफजाई करते हैं। सबका सपोर्ट मिल रहा है, जिससे मेरा आत्म विश्वास बढ़ा है।
अनेक आज ऊंचे ओहदों पर

संध्या ने बताया कि इंदौर में मैं अकेली हूं, जो काम रही हूं लेकिन देश में कई सरकारी ओहदों पर काम कर रहे हैं। जज भी बन चुके हैं तो कुछ सरकारी नौकरियों में भी हैं। कोलकाता में जज हैं, जो भारत की पहली ट्रंासजेंडर है। तमिलनाडु में तो पुलिस विभाग में भी किन्नर कार्यरत हैं। ऐसे ही देशभर काम कर रहे हैं।
आगे की तैयारी

कुछ ऐसा कर सकंू कि मेरी कम्यूनिटी के दूसरे लोगों को भी मुख्य धारा में जोड़ सकूं, क्योंकि अभी भी समाज का नजरिया बदला नहीं है। हम लोगों को समाज में सामान्य वर्ग द्वारा अपने साथ लेने में आज भी परेशानी होती है, लेकिन हमने तय कर लिया है कि सबसे पहले हम अपने आप बदलेंगे इसके बाद समाज की मुख्यधारा में जुड़ेंगे।
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