दरअसल, इंदौर जिला परिवहन विभाग को इस वित्तीय वर्ष में राजस्व लक्ष्य ६४१ करोड़ रुपए का मिला था। इसकी तुलना में आज तक विभाग ने ५६० करोड़ रुपए का राजस्व हासिल किया है। अभी दो दिन में विभाग को करीब ८० करोड़ का राजस्व हासिल करना है, लेकिन विभाग के अधिकारी खुद मानते हैं कि कोरोना की वजह से इस लक्ष्य को हासिल कर पाना मुश्किल है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि दो दिन में विभाग १० से १५ करोड़ रुपए का राजस्व जरूर प्राप्त कर लेगा। लक्ष्य के पीछे रहने की बड़ी वजह इंदौर में वाहनों का टैक्स अधिक होना भी है। इसी वजह से वाहन अन्य शहरों में रजिस्टर्ड हो रहे हैं। वहीं कोरोना काल में वाहनों की बिक्री तो बढ़ी है, लेकिन वेटिंग लंबी होने से भी राजस्व में कमी का कारण है। आरटीओ जितेंद्र रघुवंशी का कहना है कि पिछले वर्ष ५५० करोड़ का राजस्व था और विभाग ने १२५ करोड़ अधिक प्राप्त किए थे।
संभाग में २०.२३ प्रतिशत अधिक आय हुई
संभाग को इस साल ९४१ करोड़ का लक्ष्य दिया गया था। जिसमें इंदौर जिले सहित धार, बड़वानी, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, झाबुआ और आलीराजपुर जिला शामिल हैं। सभी जिलों को मिलाकर इस बार टारगेट से २०.२३ प्रतिशत अधिक राजस्व मिला चुका है। जैन ने बताया कि इंदौर जिले अकेले ने पिछले वर्ष टारगेट का २६ प्रतिशत अधिक राजस्व प्राप्त किया था, लेकिन इस बार राजस्व लक्ष्य को प्राप्त करने में पीछे है।
संभाग को इस साल ९४१ करोड़ का लक्ष्य दिया गया था। जिसमें इंदौर जिले सहित धार, बड़वानी, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, झाबुआ और आलीराजपुर जिला शामिल हैं। सभी जिलों को मिलाकर इस बार टारगेट से २०.२३ प्रतिशत अधिक राजस्व मिला चुका है। जैन ने बताया कि इंदौर जिले अकेले ने पिछले वर्ष टारगेट का २६ प्रतिशत अधिक राजस्व प्राप्त किया था, लेकिन इस बार राजस्व लक्ष्य को प्राप्त करने में पीछे है।