प्रोस्टेट कैंसर के लिए भी कारगर दवाई बनाने का दावा किया जा रहा है। थाइराइड के लिए शरबत के विकल्प में भी डोज दिए जा रहे हैं। 3 लाख लोगों के सालाना इलाज जितनी दवाई बनाई जा रही है। आयोग के चेयरमैन केएन व्यास व रेडियो फार्मा के समन्वयक राममूर्ति ने बताया, इन दवाओं का उपयोग बढऩे से अधिक लोगों का इलाज होगा। इलाज की कीमत में कमी आएगी। इन तत्वों से निर्मित कुछ दवाइयों को 68 से 110 मिनट तक ही उपयोग में लाया जा सकता है, कुछ दवाइयां हफ्तों तक चलती हैं। देश में न्यूक्लीयरथैरेपी सेंटर्स बनाने की कोशिश की जा रही है। टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉ. रंगराजन के अनुसार 5 साल पहले 10 फीसदी मरीज ही इसके लिए तैयार होते थे। अब यह 30 प्रतिशत तक पहुंच गया है। जनजागरूकता विभाग के प्रमुख रवि शेखर के अनुसार, अभी 230 केंद्रों पर इन दवाइयों का सप्लाय हो रहा है।
लिवर कैंसर की सस्ती दवाई वैज्ञानिक तापस दास के अनुसार, अब लिवर के जटिल व लाइलाज कैंसर के लिए भी सस्ती दवाइयां बना ली गई हैं। इपियोडाल नामक दवाई लिवर कैंसर की यूरोप से आयात की जा रही दवाई वाय-90 से काफी सस्ती है। इपियोडाल का डोज 50 से 60 हजार रुपए है।
प्रोस्टेट कैंसर का इलाज भी शुरू वैज्ञानिकों के मुताबिक, केंद्र ने देश में सबसे ज्यादा होने वाले प्रोस्टेट कैंसर के लिए भी देसी दवाई बनाई है। ल्यूटेशियम पीएसएमए और गैलियम पीएसएमए नामक इन दवाइयों का उपयोग कैंसर का पता लगाने और ट्रीट करने में किया जा रहा है।