नेहा बोलीं, सीरियल्स की राइटिंग टीआरपी मुख्य है। अगर कंटेंट टीआरपी जनरेट नहीं कर पाता है तो सीरियल्स कु छ ही दिनों में ऑफ एयर हो जाता है। हमें १०-१० घंटों की लंबी मीटिंग के बाद ब्रेन स्टार्मिंग करना होती है। कौन-से ट्विस्ट और टर्न लाने से सीरियल हिट हो सकता है, उस पर काम करना होता है। अगर कोई राइटर नया है, तो उसे एक एपिसोड लिखने में आठ से दस घंटे लग जाते हैं। सीरियल तैयार करने में सबकी मेहनत लगती है लेकिन असली हीरो कंटेंट ही होता है।
फिल्म पद्मावती को लेकर चल रहे विवाद पर उन्होंने कहा कि जब कोई फिल्म मेकर फिल्म बनाता है, तो वह रिसर्च करता है और पूरी मेहनत से विषय को लोगों के बीच रखता है। किसी भी प्रोड्यूसर और डायरेक्टर्स के लिए सीरियल और फिल्म एक बच्चे की तरह होता है, इसलिए लोगों को चाहिए कि पहले फिल्म देखे फिर रिस्पांस दें। मैं भी हिस्टोरिकल सीरियल्स लिख चुकी हूं और बहुत रिसर्च के बाद ही कहानी लिखती हूं। राइटर्स को चाहिए कि वे अपनी सोशल रिस्पांसिबिलिटी को समझे और पब्लिक की फीलिंगस की रिस्पेक्ट करें।