ये भी कहा जा सकता है कि संघ के इतिहास में पहली बार ऐसा आयोजन हो रहा है, जिसमें स्वयंसेवकों को निधारित समय १०-१० की संख्या में बुलाया जा रहा है। एक-एक कर स्वयंसेवक तय स्थान पर पहुंच रहे हैं और ध्वज प्रणाम करके समर्पण समर्पित कर रहे हैं। प्रणाम करके घर लौट रहे हैं।
प्रत्येक शाखा स्तर पर ऐसे आयोजन रखे गए हैं, जबकि हमेशा गुरु पूजन कार्यक्रम में एकल गीत और बाद में सामूहिक गीत और बौद्धिक के बाद सामूहिक प्रार्थना होती है। प्रार्थना के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की गई है। जब सारे स्वयंसेवक अपने-अपने घर पहुंंच रहे हैं, तो तय समय पर प्रार्थना की जा रही है।
आपातकाल में नहीं हुआ था आयोजन
गौरतलब है कि संघ की स्थापना वर्ष १९२५ में नागपुर में हुई थी। उसके बाद से गुरु पूजन का आयोजन अविरत चलता रहा है। १९७६ में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपात काल लगाया था, उस समय सभी संघ के जवाबदारों को जेल में डाल दिया गया था। उस साल ही गुरु पूजन का आयोजन नहीं किया गया था। उसके बाद फिर से जारी हो गए थे। ऐसा पहली बार हो रहा है कि टुकड़ों-टुकड़ों में आयोजन हो रहे हैं और ऑनलाइन प्रार्थना की जा रही है।
गौरतलब है कि संघ की स्थापना वर्ष १९२५ में नागपुर में हुई थी। उसके बाद से गुरु पूजन का आयोजन अविरत चलता रहा है। १९७६ में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपात काल लगाया था, उस समय सभी संघ के जवाबदारों को जेल में डाल दिया गया था। उस साल ही गुरु पूजन का आयोजन नहीं किया गया था। उसके बाद फिर से जारी हो गए थे। ऐसा पहली बार हो रहा है कि टुकड़ों-टुकड़ों में आयोजन हो रहे हैं और ऑनलाइन प्रार्थना की जा रही है।