इंसान ही नहीं, पशु भी कई बार इसके मोहताज होते हैं। शहर के पशु प्रेमियों की बदौलत अब इंसानों के साथ पशु भी रक्तदान मुहिम का हिस्सा बन रहे हैं। शहर में ऐसे पशु भी हैं, जो अपनी बिरादरी के जरूरतमंदों को बचाने के लिए रक्तदान करते हैं।
पिट बुल प्रजाति का आठ साल का श्वान डावो अब तक चार बार रक्तदान कर चुका है। तीन दिन पहले ही एक पशु चिकित्सालय में डावो ने एक छोटे पपी (श्वान के बच्चे) को रक्त देकर उसका जीवन बचाया। डॉक्टर कहते हैं कि इसको अगर खून न मिलता तो शायद ही वह बच पाता। ऐसे ही तीन मामलों में पूर्व में भी डावो ने रक्तदान किया था।
डावो को पालकर बड़ा करने वाले अकरम खान बताते हैं कि खून एक ऐसी चीज है, जो कई बार पैसों से भी उपलब्ध नहीं होता। इंसान हो या पशु, जिसको भी जरूरत पड़े रक्तदान करना चाहिए। हमने इसी मुहिम को शुरू किया है। इंसानों की तरह ही हर हेल्दी श्वान तीन माह में अपना रक्तदान कर सकता है। शहर में पशुओं के सरकारी और निजी कई चिकित्सालय हैं, जहां इनका इलाज होता है।
पालकों को आगे लाने की मुहिम
खान बताते हैं कि हमने इस मुहिम से पशु पालकों को जोडऩा शुरू किया है। हम श्वानों से रक्तदान के लिए इसके फायदे भी बता रहे हैं और लोगों से उनके पालतु श्वानों के ब्लड ग्रुप टेस्ट करवाने का कह रहे हैं।
खान बताते हैं कि हमने इस मुहिम से पशु पालकों को जोडऩा शुरू किया है। हम श्वानों से रक्तदान के लिए इसके फायदे भी बता रहे हैं और लोगों से उनके पालतु श्वानों के ब्लड ग्रुप टेस्ट करवाने का कह रहे हैं।
इस मुहिम को इंदौर से देशभर में ले जाएंगे। कई लोग हमसे जुड़े भी हैं। श्वानों में दो या तीन ही ब्लड ग्रुप होते हैं, इसलिए इनका खून आसानी से उपलब्ध हो सकता है। श्वान का हेल्दी होना जरूरी होता है, इससे किसी तरह की कमजोरी नहीं रहती।
हरसंभव करते हैं मदद
शहर के कनाडिय़ा थाने में एनिमल कम्प्लेन सेंटर शुरू करने वाली पशु प्रेमी प्रियांशु प्रशांत जैन सालों से पशुओं के लिए काम कर रही है। वे एक एंबुलेंस भी शुरू कर चुकी हैं।
शहर के कनाडिय़ा थाने में एनिमल कम्प्लेन सेंटर शुरू करने वाली पशु प्रेमी प्रियांशु प्रशांत जैन सालों से पशुओं के लिए काम कर रही है। वे एक एंबुलेंस भी शुरू कर चुकी हैं।
वे कहती हैं कि इससे उन इंसानों को भी सीख लेना चाहिए, जो रक्तदान नहीं करते। उन्होंने बताया कि वे शहरभर के पशुओं के लिए घायल होने व उनके साथ क्रूरता होने पर मदद करते हैं।