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गौरतलब है कि वर्तमान में सांसद, मंत्री रहने वाले ऐसे कई नेता हैं जो देवी अहिल्या विवि और संबंधित कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव लड़ चुके हैं। विवि से आज उन्होंने ऊंचाई पाई, लेकिन आज जब विवि अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है तो कोई आगे नहीं आ रहा। जबकि कुछ माह पहले जब सीनेट चुनाव का जिन्न बाहर आया था तब इन्हीं नेताओं और इनके लोगों ने चुनाव लडऩे की दावेदारी पेश कर दी थी।
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विवि में छात्र नेता रहे वर्तमान मंत्री सज्जनसिंह वर्मा, तुलसी सिलावट,कांग्रेस के शहर अध्यक्ष प्रमोद टंडन, पंकज संघवी, सुरेश मिंडा, अनिल यादव, विपिन खुजनेरी, सर्वेश खंडेलवाल, अनिल शुक्ला, टंटू शर्मा, जीतू शर्मा, विजयवर्गीय, सुदर्शन गुप्ता, महेंद्र हार्डिया, बलराम वर्मा, गौरव रणदिवे सहित तमाम ऐसे नेता हैं जो अब तक आगे नहीं आए हैं। कारण है कि ये वे लोग हैं जो कुलाधिपति और उच्च शिक्षा विभाग के बीच मध्यस्थता कर इस मसले को आसानी से सुलझा सकते हैं और विवि को कुलपति दिलवा सकते हैं।
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इन दिनों विवि में वे ही नेता सक्रिय दिख रहे हैं जिनका हमेशा विवि आना जाना रहा है। पूर्व कार्यपरिषद सदस्य बालकृष्ण अरोरा, अनशन पर बैठे पूर्व कार्यपरिषद सदस्य अजय चौरडिय़ा सहित अन्य वे लोग हैं जो हमेशा विवि में सक्रिय रहते हैं। इन दिनों भी वे ही इस मामले में खुलकर सामने आ रहे हैं।