तपस्या ऐरन : मैं सभी टीचर्स और पैरेंट्स को थैंक्स कहना चाहती हूं , जिन्होंने सालभर मेरे साथ हार्डवर्क किया। अब मैं लॉ में ग्रेजुएशन करके सिविल जज की एग्जाम देना चाहती हूं। मैंने शुरू से सोच लिया था कि मेरिट लिस्ट में आना है। पढ़ाई को कभी बोझ नहीं समझा। धीरे-धीरे जितना होता था मैं पढ़ाई करती थीं। मैं कोचिंग नहीं जाती थी। सेल्फ स्टडी और टीचर्स के सपोर्ट से यह मुकाम हासिल किया है। टीचर्स हर समय मेरे लिए तैयार रहती थी। मैंने मोबाइल का यूज भी मोटिवेशन वीडियोज, जनरल नॉलेज पढऩे के लिए ही किया।
शिवानी प्रजापति : मैंने शुरुआत से ही पढ़ाई पर काफी फोकस किया था। किसी प्रकार का तनाव नहीं लिया। दिन-रात मेरा पढ़ाई में ही बीतता था। सबसे ज्यादा सपोर्ट मम्मी-पापा और सभी टीचर्स का रहा। सुबह मम्मी मेरे साथ ही उठ जाती थी। पापा भी मेरे लिए इंस्पीरेशन है। मैं फ्यूचर में एमबीबीएस कर डॉक्टर बनना चाहती हूं।
कशिश दुबे : मेरा हाफ इयरली में रिजल्ट इतना अच्छा नहीं था, लेकिन मेरे टीचर्स ने मुझे डीमोटिवेट नहीं होने दिया। उन्होंने हर कदम पर मेरा साथ दिया। साथ ही मैं ठंड के दिनों में भी सुबह पांच बजे उठकर पढ़ती थी। हालांकि ये कठिन होता था, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। पढ़ाई के दौरान मैंने फोन पूरी तरह छोड़ दिया था। मेरे पैरेंट्स का सपोर्ट भी मेरे लिए अच्छा रहा। स्कूल में इतनी अच्छी पढ़ाई हो गई कि कोचिंग की जरूरत ही नहीं पड़ी।
किरण परिहार : मैं सुबह 6 बजे उठ जाती थी और देर रात तक पढ़ाई करती थी। इसके साथ ही बीच में एक घंटा म्यूजिक सुनती थी ताकि मेरा माइंड फ्रेश हो जाए। स्कूल प्रिंसिपल और टीचर्स ने मुझे काफी सपोर्ट किया। मैंने जैसा सोचा था वैसा रिजल्ट मिला है।