यह चुनाव न तो राष्ट्रवाद पर है और न परिवारवाद पर। मेरी नजर में यह चुनाव विकास की राजनीति का चुनाव है। पांच साल में देश की जनता जागरूक हो गई है।
बदलाव से सुमित्रा महाजन नाराज नहीं हैं। उनकी इच्छा से ही शंकर लालवानी को टिकट दिया गया है। पूरी पार्टी एकजुट है। चुनाव के दौरान भाषणों में भाषा का स्तर गिर रहा है?
मेरा सोचना है, भाषा की गरिमा का सभी को ध्यान रखना चाहिए। यदि हमारी पार्टी में भी कोई नेता भाषाई शुचिता का ध्यान नहीं रखता है तो उसे सख्त हिदायत दी जाती है।
मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणाओं पर विस्तार से तो कुछ नहीं कहूंगा, लेकिन यह तय है कि उनकी नीयत में खोट नहीं है।
दिग्विजय सिंह ने भगवा आतंकवाद शब्द देकर हिंदुओं का अपमान किया था। कांग्रेस द्वारा वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिशों को संतुलित करने के लिए साध्वी को उतारा गया।
राजीव गांधी को लेकर मोदी ने कोई गलत बयान नहीं दिया है। सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल की समीक्षा होती रही है। गांधी परिवार के लगभग सभी पीएम पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। उनका जवाब तो देना ही होगा।