अफसरों की मनमानी से राजस्व का नुकसान
बताया जा रहा है कि जिस वाहन पोर्टल का तर्क दिया जा रहा है वो नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन के लिए है, जो आवेदक 1 अगस्त के पहले वाहन ले चुके हैं और वीआइडी जनरेट हो चुकी है। उन्हें पुरानी प्रक्रिया से ही नंबर दिए जाने हैं। पुरानी प्रक्रिया की एमपी-09-डब्ल्यूएन सीरीज के वीआइपी नंबरों की निलामी बाकी है।
कैसे मिलता है गाड़ी का VIP नंबर
आमतौर पर जब कोई नई गाड़ी खरीदता है तो उसे आरटीओ के एक खास सिस्टम के जरिए रेडम्ली कार या बाइक के नंबर दिए जाते हैं। ये नंबर कुछ भी हो सकते हैं, लेकिन अगर हम मनपसंद नंबर लेना चाहते हैं तो इसके लिए सभी राज्यों के परिवहन विभाग की द्वारा अलग-अलग नंबर्स के लिए अलग-अलग कीमत तय रहती है।
कार या बाइक के लिए मनचाहा नंबर पाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके बाद यहां वीआईपी नंबर्स की बोली लगती है। यहां अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग नबंर्स के विकल्प दिए गए हैं। नंबर के अनुसार हमें परिवहन विभाग को पैसा चुकाना होता है। अगर हमारा मनचाहा नंबर उपलब्ध रहता है तो हम उसकी तय कीमत चुकाकर प्राप्त कर सकते हैं।