निगम चुनाव के लिए किया वार्ड आरक्षण वैध या अवैध… हाई कोर्ट में फैसला सुरक्षित
इंदौरPublished: Dec 09, 2021 11:04:38 am
– शहर के 85 में से 16 वार्ड के आरक्षण में नियम की अनदेखी का है आरोप
निगम चुनाव के लिए किया वार्ड आरक्षण वैध या अवैध… हाई कोर्ट में फैसला सुरक्षित
इंदौर. इंदौर नगर निगम के आगामी चुनाव को लेकर किए गए वार्ड आरक्षण वैध हैं या अवैध, हाई कोर्ट में फैसला सुरक्षित किया गया है। बुधवार को जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ में याचिका पर करीब 30 मिनट तक सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रखा गया है। यदि हाई कोर्ट में आरक्षण प्रक्रिया अवैध पाई गई तो शहर के सभी वार्डों का आरक्षण फिर से होगा और टिकट के कई दावेदारों के समीकरण भी प्रभावित होंगे। लॉ स्टूडेंट जयेश गुरनानी ने याचिका में आरक्षण प्रक्रिया में रोटेशन नियमों की अनदेखी का मामला उठाया था। एडवोकेट विभार खंडेलवाल ने कोर्ट में तर्क रखे कि 2014 में किए गए वार्ड आरक्षण के आधार पर इस बार वार्डों को रोटेशन से एससी और एसटी वर्ग में रखा जाना था, लेकिन कुछ वार्डों को पिछली बार के वर्ग में ही रखा गया है, जबकि यह गैर संवैधानिक है। रोटेशन का नियम हर नगर निगम चुनाव में लागू करना होता है। याचिका में शहर के 85 में से 16 वार्डों में रोटेशन के नियम का पालन नहीं होने की उल्लेख है। शासन की ओर से तर्क रखा गया है कि नगर निगम चुनाव में वार्ड आरक्षण में रोटेशन निमयों का पालन आवश्यक नहीं है। इंदौर में जो वार्ड आरक्षण प्रक्रिया की गई है, वह नियमों के अनुसार ही की गई है। कोर्ट ने दोनों पक्ष सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा है। गुरनानी ने बताया, वार्ड 24, 26, 35, 36, 47, 54, 18, 30, 45, 46, 59, 61, 76 को फिर से एससी कोटे में रखा गया है, जबकि वार्ड 75, 77, 79 को फिर से एसटी कोटे में रखा गया है, जो गलत है।