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शहर कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठ गए संगठक, फिर मच गया बड़ा बवाल तालाब गहरीकरण कार्य की हकीकत देखकर आप भी सोचने के लिए मजबूर होंगे। अफसर तालाब की मिट्टी खुदवाकर पालों पर डाल रहे हैं। किसी भी दिन मानसूनी बारिश से यह फिर तालाब में समाहित हो जाएगी। कुछ तालाबों में खंतियां खोदकर किसान मिट्टी ले जा रहे हैं। वहां कोई तकनीकी जानकार नहीं है, जो इसकी तस्दीक कर सके कि इससे ज्यादा खुदाई से एकत्रित होने वाला पानी भी तालाब चूस जाएगा। पत्रिका ने शहर में चल रहे तालाब गहरीकरण की हकीकत जानने की कोशिश की तो यह तथ्य सामने आए। बड़े-बड़े तालाब और एक-एक जेसीबी व एक-एक डंपर से काम किया जा रहा है। इन तालाबों पर हरियाली के शगूफे भी सुनने में आए हैं, लेकिन इसकी कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है। कुछ तालाबों की जमीनी स्थिति इस तरह है।
पीपल्याहाना में बह रही ड्रेनेज जि स पीपल्याहाना तालाब को कोर्ट से बचाने के लिए पूरा शहर उमड़ा था, वहां ड्रेनेज का पानी एकत्रित हो रहा है। निगम-प्रशासन ने उसे लावारिस छोड़ दिया। टिगरिया बादशाह तालाब आइडीए के सौंदर्यीकरण प्रोजेक्ट के लिए कागजों में उलझा है। अफसर यहां ३१ करोड़ की लागत से तालाब बनाना और सुंदर गेट व मनोरंजन के लिए बोट चलाना चाहते हैं।
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चोरों के गिरोह ने ऐसे उड़ाई छह बाइक, ईंट-पत्थर लेकर की थी हमले की तैयारी खजराना तालाब : रोक दिया पानी ख जराना तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए चार साल से प्रयास चल रहे हैं। दो दिन पहले गाद निकालना शुरू किया गया। इसका नेचुरल कैचमेंट बारिश में गांव की ओर से आने वाला पानी होता था, जिससे भरने के बाद यह सालभर आबाद रहता था। कालांतर में यहां खजराना की ड्रेनेज मिलाकर तालाब को खराब कर दिया गया।
चैनल बाधित, अनियंत्रित गहरीकरण वास्तव में लिंबोदी, फतनखेड़ी, बिलावली और पीपल्यापाला एक चैनल होती थी। दूसरी चैनल से राऊ का फूटा तालाब, हुक्माखेड़ी तालाब और बिलावली में पानी पहुंचता था। वर्तमान में फूटा तालाब में धूल उड़ रही है। हुक्माखेड़ी तालाब अनियंत्रित गहरीकरण का शिकार हो गया। यही वजह है, गर्मी में भी पक्षियों और जानवरों की प्यास बुझाने वाला बिलावली सूख गया। हालात यह हो गए कि जगह-जगह गड्ढे कर दिए गए, डाबरे जैसा पानी नजर आता है।
बिलावली और पीपल्यापाला दोनों पूरी तरह सूख चुके बिलावली में नाप का पानी बचा है। पीपल्यापाला की तो मिट्टी तड़क गई है। दोनों जगह गहरीकरण के लिए निगम ने काम शुरू किया है। मिट्टी खुदाई का काम चल रहा है। जेसीबी से डंपर भरकर मिट्टी लोग ले जा रहे हैं। पीपल्यापाला में तो पानी की चैनल पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है।
चैनलों की गाद नहीं निकाली सुपर कॉरिडोर के टिगरिया तालाब से लेकर राऊ का फूटा तालाब तक विकास की भेंट चढ़ गए हैं। शहर के इस उत्तर-पूर्वी जल भंडार की राह बायपास, रिंग रोड, अन्य सड़कों व कॉलोनाइजेशन ने रोक दी है। ग्रामीण बताते हैं, कभी रालामंडल, देवगुराडि़या पहाडि़यों से पानी उतरकर इन तालाबों को लबालब करता था। अब इनकी चैनलों में गाद भरी है। लिंबोदी तालाब में रालामंडल से पानी लाने वाली चैनल मिट्टी से समतल हो गई, तालाब भी उथला हो गया।
लसूडिय़ा मोरी तालाब पर पहुंचे मंत्री सिलावट लसूडिय़ा मोरी तालाब की सालों बाद सुध ली गई। १० एकड़ में फैले इस तालाब का पानी जहरीला होने की शिकायत मिलने पर स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट शुक्रवार को इसका निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने निगम कमिश्नर आशीष सिंह को बरसात से पहले जीर्णोद्धार के निर्देश दिए। निगम यहां ५० लाख रुपए खर्च कर गहरीकरण के साथ ही सौंदर्यीकरण भी करेगा। तालाब से पानी निकालने और खुदाई का काम शुरू हो गया है। ड्रेनेज का पानी सीधे तालाब में आ रहा था। इसे देख मंत्री ने नई ड्रेनेज लाइन डालने के भी निर्देश दिए।
– तालाब की खुदाई का काम किया जा रहा है, साथ ही मशीनरी भी बढ़ाई जाएगी। कोशिश है कि बरसात के पहले तालाब को व्यवस्थित कर दें, ताकि पानी आना शुरू हो जाए।
आशीष सिंह, कमिश्नर, नगर निगम
– 50 लाख रुपए में तालाब का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। जहां नर्मदा लाइन नहीं हैं, वहां लाइन डाली जाएंगी। अफसरों को जल्द काम शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
तुलसी सिलावट, स्वास्थ्य मंत्री