यदि ऐसा हो तो कम होंगी नवजातों की मौत, बढ़ जाएगी औसत आयु
स्वच्छता के साथ स्वस्थ (healthy) रहना जरूरी, लाइफ स्टाइल (life style) बनेगी बेहतर
इंदौर
Published: February 26, 2022 01:27:53 am
इंदौर. जिन शहरों में एयर क्वालिटी ठीक नहीं है, वहां नवजात मृत्युदर बढ़ सकती है। लोगों के फेफड़े प्रभावित हो सकते हैं। अस्थमा, हार्ट रोग, घबराहट जैसी बीमारियां लोगों को तंग करने लगेगी। इंदौर ने स्वच्छता के गुण को आत्मसात कर स्वस्थ रहने की पहली जरूरत तो पूरी कर ली है। अब एयर क्वालिटी सुधार कर बेहतर स्वास्थ्य की सीढिय़ां भी चढऩी होंगी। जीवन की शुरुआत ही स्वच्छ व स्वस्थ वातावरण में होगी तो बच्चे स्वस्थ होंगे और औसत आयु भी बढ़ेगी। इसलिए प्रयास करें कि अगले 5 साल में हमारे एयर क्वालिटी इंडेक्स में 50 पाइंट की कमी आ जाए।
यह बात वल्र्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट व ईडीएफ द्वारा क्लीन एयर कैटेलिस्ट (सीएसी) प्रोजेक्ट के तहत आयोजित सिविल सोसाइटी व प्रदूषण पर आयोजित संगोष्ठी में कही गई। कार्यक्रम में शहर के जनसंगठन व रहवासी सोसायटी के नागरिक मौजूद थे। वरिष्ठ चिकित्सक व श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. सलिल भार्गव ने बताया, प्रदूषण का असर आम आदमी की जिंदगी और औसत आयु पर हो रहा है। हमारे शहर की हवा जितनी बेहतर होगी, नागरिक उतने ही स्वस्थ होंगे। प्रदूषण से नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव हो रहा है। उच्च प्रदूषित क्षेत्रों में शिशु मृत्युदर प्रभावित हो रही है। भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए हवा सुधारें। प्रदूषण कम होगा तो जिंदगी और स्वस्थ होगी।
छोटे-छोटे उपाय होंगे कारगर
विशेषज्ञ डॉ. अजय नागपुरे ने वायु प्रदूषण के कारण, दुष्प्रभाव व इससे होने वाली बीमारियों के बारे में बताया। वैज्ञानिक डॉ. दिलीप वाघेला ने प्रदूषण कम करने के छोटे-छोटे उपाय बताते हुए कहा, स्वच्छता की तरह प्रदूषण कम करने के उपायों को आत्मसात करना होगा। जैसे कचरा नहीं जलाना, वाहनों की समय-समय पर जांच करवाना आदि। इस मौके पर पद्मश्री डॉ. जनक पलटा, डॉ. ओपी जोशी, डॉ. रमेश मंगल, डॉ. भरत रावत, डॉ. मीनाक्षी, कौशिक हजारिका व मेघा दुबे मौजूद थे।

यदि ऐसा हो तो कम होंगी नवजातों की मौत, बढ़ जाएगी औसत आयु
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