सिर पर झाड़ू बांधकर गेर में चलते थे लोग, बच्चे के लिए ये करते थे टोटका
इंदौरPublished: Mar 25, 2019 01:04:42 pm
यादों की गेर : रंग पंचमी पर निकलने वाली गेर में ऐसा होता था लोगों का पहनावा, किन्नर भी होते थें शामिल
सिर पर झाड़ू बांधकर गेर में चलते थे, बच्चे के लिए ये करते थे टोटका
-सराफा में मिट्टी के नाथूराम बनाए जाते थे। बच्चे नहीं होने वालों के लिए यह टोटका था।
-सुरेश गंगवाल पत्थरवाले और राजा सेठिया ने पहली बार मिसाइल का आइडिया दिया था।
-पहले सभी गेर में किन्नरों की टोलियां भी शामिल होती थीं। भीड़ में अश्लीलता होने से यह प्रथा बंद हो गई। कुछ पुरुष महिलाओं के भेष में सजकर शामिल होते थे।
-टाट का सूट पहनकर लोग निकलते थे। गले में सब्जियों की मालाएं होती थीं।
-संगम कॉर्नर का नाम इसलिए पड़ा था कि उस समय राजकपूर व वैजयंती माला की प्रसिद्ध फिल्म आई थी। गणेश -चतुर्थी पर संगम फिल्म भी हर बार दिखाई जाती थी। इस पर किशनलाल सोमानी ने कॉर्नर का नाम संगम रख दिया था।
-बुजुर्ग सिर पर झाड़ू बांधकर डांस करते हुए गेर में चलते थे। गेर के नाम पर साल में एक बार असांस्कृतिक होने की परंपरा थी।
-राजा सेठिया मैकेनिक थे। उन्होंने 25 साल पहले, पहली बार टैंकर पर मिसाइल तैयार की थी ।सभी को अनुशासन में चलाने के लिए गेर में प्रेमस्वरूप खंडेलवाल हाथ में डंडा लेकर आगे ही चलते हैं।