निगम में अभी तक यह होता आया कि महापौर और पार्षद सहित बड़े अफसरों के खास होने के साथ राजनीतिक संरक्षण के चलते कई कर्मचारी मूल पद की बजाय दूसरा काम करने लगते हैं। इसके साथ ही कई कर्मचारी इतने उपकृत हो जाते हैं कि काबिलियत न होने के बावजूद अच्छे पदों पर बैठ जाते, जो पद के लायक होने और काबिलियत रखने वाले कर्मचारी को मुंह चिढ़ाते हैं। निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने व्यवस्था को बदल दिया है। अब जिस पद पर नियुक्ति हुई है, उसी मूल पद पर ही काम करना होगा। शुरुआत निगम स्वास्थ्य विभाग से की गई है। दो दिन पहले इस विभाग में जहां बड़ा फेरबदल कर 19 जोन के सीएसआई को बदलने के साथ नए नियुक्त किए गए, वहीं कई प्रभारी सीएसआई सफाई के सौंपे गए दायित्व से मुक्त हो गए। साथ ही डिमोशन अलग हो गया, क्योंकि प्रभारी सीएसआई के पद से हटाकर मूल पद सफाईकर्मी पर नियुक्त कर दिया गया। इसको लेकर निगमायुक्त ने आदेश भी जारी कर दिया है।
इनका हुआ डिमोशन
इसके तहत प्रभारी सीएसआई मुकेश बीसे को जोन 5 पर सफाई संरक्षक, कमलाकर वक्ते को जोन 12 पर श्मशान चौकीदार, संजय वैद्य को जोन 14 पर सफाई संरक्षक, जुगलकिशोर कल्याणे को जोन 18 पर सफाई कर्मचारी और भंवर घावरी को जोन 5 पर सफाई संरक्षक बना दिया गया, क्योंकि इनका मूल पद यही है। निगम गलियारों में चर्चा है कि स्वास्थ्य विभाग के अलावा अन्य विभागों में भी यह होगा कि जिस पद पर कर्मचारी की नियुक्ति हुई है, उससे वहीं काम कराया जाएगा। मालूम हो कि स्वास्थ्य विभाग में सफाईकर्मियों में से कई को दारोगा और प्रभारी सीएसआई बनाया गया है।