कारण बताया जा रहा है कि देश में गेहूं का उत्पादन कम होने की वजह से यह फैसला लिया गया है , लेकिन गेहूं के कम उत्पादन को लेकर सरकार की तरफ से अभी तक कोई भी आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं बल्कि सरकार ने फरवरी ( मई में संशोधित अनुमान में भी ) में भी पिछले साल की तुलना में इस वर्ष अधिक गेहूं के उत्पादन का अनुमान जारी किया था।
इस बीच निर्यात पर रोक से बाजार में भारी उथल - पुथल है। आईए जानते हैं कि सरकार ने कितने गेहूं के उत्पादन का अनुमान लगाया हुआ है और निर्यात पर रोक का संभावित गणित क्या है । निर्यात पर रोक लगते ही व्यापार रूक गया और पोर्ट पर करोड़ों का गेहूं फंसा गया है। व्यापारी और एक्सपोर्टरों पर गाज गिरी है। बैंक की करोड़ों की उधार चुकाना मुश्किल में होगा।
गेहूं भाव
पारख देवास मिलक्वालिट 2100, बजरंग घाटबिल्लौद 2200, अक्षत इंदौर 2220 रुपए में कारोबार हुआ। मंडी में लोकवन गेहूं 2300 से 2350, शरबती 3800 से 4200, मालवराज 2250 से 2300 रुपए क्विंटल।
मंडी में दाम 200 रुपए क्विंटल गिरे
निर्यात पर रोक लगते ही गेहूं के दामों में कमी आई है, जिससे किसान नाराज होने लगे है और विरोध के स्वंय फूंटने लगे है। नियार्त पर रोक की खबर लगतेे ही मंडियों में गेहूं के भाव 200 क्विंटल तक टूटे गए । किसान संगठनों ने गेहूं निर्यात पर लगाई पाबंदी का कड़ा विरोध किया है तथा कहा है कि सरकार पूंजीपतियों के हाथ का खिलौना बनी हुई है , और किसान और मजदूरों को मार रही है । संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े संगठन किसान संघर्ष समिति और किसान मजदूर सेना ने जारी बयान में बताया कि केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगाकर किसानों की कमर तोड़ने का काम किया है । अब जब गेहूं की फसल मंडियों में बेचने के लिए किसान ला रहा है। तभी निर्यात नीति में बदलाव करके सस्ते में किसानों का गेहूं खरीदने के लिए व्यापारियों को खुली छूट दे दी गई है।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता रामस्वरूप मंत्री ,किसान संघर्ष समिति के प्रदेश सचिव दिनेश सिंह कुशवाह, किसान मजदूर सेना मध्य प्रदेश के अध्यक्ष बबलू जाधव और सचिव शेलेन्द पटेल ने कहा कि बड़े पूंजीपतियों के एजेंट्स मंडियों में गेहूं की खरीदी कर रहे हैं । आज जैसे ही निर्यात पर पाबंदी की खबर लगी , वैसे ही मंडी में गेहूं के भाव 100 से 200 प्रति क्विंटल कम हो गए हैं।
वैसे भी मध्य प्रदेश की मंडियों में एमएसपी की कीमत से नीचे गेहूं बिक रहे थे और सरकार की इस पालिसी से गेहूं के भाव धरातल में चले गए हैं। किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने निर्यात पर पाबंदी नहीं हटाई तो संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी संगठन एकजुट होकर आंदोलन को बाध्य होंगे ।