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ऐसे कैसे सुधरेगी हॉकी की सेहतः आखिर इंदौर में कब बिछेगा एस्ट्रोटर्फ

locationइंदौरPublished: Nov 05, 2021 07:19:30 pm

एस्ट्रोटर्फ के नाम पर दौड़ रहे कागजी घोड़े
मध्यप्रदेश के खेलों की राजधानी इंदौर में अब तक नहीं बन पाया एस्ट्रोटर्फ

Hockey

फोटो कैप्शन (रविंद्र सेठिया के एक नवंबर के फोल्डर में -8614) यह तस्वीर इंदौर के डेली कॉलेज के सामने की है। प्रकाश क्लब से जुड़े बच्चे सड़क पर प्रैक्टिस कर रहे हैं। क्लब के संरक्षक कैबिनेट मिनिस्टर तुलसी सिलावट हैं।

अभिषेक

इंदौर. ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम ने जब 41 साल बाद पदक तालिका में स्थान बनाया तो खिलाड़ियों में नई ऊर्जा का संचार हो गया। तमाम तरह की बधाइयों और घोषणाओं से ऐसा लगा जैसे अब इस खेल के दिन बदलने वाले हैं, लेकिन कुछ दिन बाद ही सबकुछ पहले जैसे हो गया। मध्यप्रदेश के खेलों की राजधानी इंदौर की बात करें तो यहां हॉकी पर अबतक सिर्फ सियासत होती रही है। एक दशक से पुरानी मांग धरातल पर आकार नहीं ले सकी है। एस्ट्रोटर्फ के नाम पर कागजी घोड़े दौड़ रहे हैं। यह स्थिति तब है जब 2018 में इसी इंदौर से जीतू पटवारी प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री बने थे, लेकिन लगभग डेढ़ साल के कार्यकाल में वे भी आश्वासन और कागजी घोड़े दौड़ाने के सिवा कुछ नहीं कर सके।

दरअसल, इंदौर ने कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के हॉकी प्लेयर दिए हैं, लेकिन वर्तमान स्थितियों में एस्ट्रोटर्फ का ग्राउंड न होने से यहां के प्रतिभावान खिलाड़ियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुकाबले एस्ट्रोटर्फ पर ही खेले जाते हैं। इस कारण किसी बड़े मुकाबले में भाग लेने के लिए हमारे खिलाड़ियों को दूसरे शहरों का रुख करना पड़ता है।
ऐसे दौड़ रहा कागजी घोड़ा
दरअसल, एस्ट्रोटर्फ बिछाने की सबसे पहले मांग 2010 में उठी थी। इसके बाद से प्रदेश में सियासी चेहरे बदलते रहे, लेकिन इंदौर की यह मांग पूरी नहीं हो सकी। 2017 में एस्ट्रोटर्फ लगाने के लिए बिजलपुर स्थित डाइट का चयन किया गया। इसका शुभारंभ तत्कालीन खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया व क्षेत्रीय विधायक जीतू पटवारी ने किया था। 2018 में सत्ता परिवर्तन के साथ ही जीतू पटवारी खेल मंत्री बने और लगा कि अब इंदौर की पुरानी मांग आकार ले लेगी, लेकिन डेढ़ साल आश्वासन में ही गुजर गए।
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23 अगस्त 2016 में हुई थी पहली घोषणा
शहर में हॉकी के लिए एस्ट्रोटर्फ लगाने की घोषणा 23 अगस्त 2016 को हुई थी। प्रदेश कैबिनेट में बजट के दौरान 5 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई थी। 2017 में दो करोड़ रुपए लोक निर्माण विभाग को एस्ट्रोटर्फ लगाने के लिए दिए गए थे।

इन्होंने बढ़ाया इंदौर का मान
मोहम्मद याकूब अंसारी, निरंजन नेगी, ओलंपियन शंकर ओलंपियन, ओलंपियन व पद्श्री किशन दादा, प्रियंका यादव।

एस्ट्रोटर्फ न होने से प्रतिभावान खिलाड़ियों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। मिट्टी में खेलने और एस्ट्रोटर्फ पर खेलने में काफी अंतर होता है। एस्ट्रोटर्फ नहीं होने से इंदौर में प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं नहीं हो पा रही हैं। खिलाड़ियों को बड़े मुकाबलों में भाग लेने के लिए पहले दूसरे शहर में एस्ट्रोटर्फ पर प्रैक्टिस करनी पड़ती है।
-किशोर शुक्ला, सचिव ताहिर हॉकी सेंटर

प्रदेश का सबसे बड़ा शहर होने के नाते एस्ट्रोटर्फ की सौगात इंदौर को मिलनी चाहिए थी। मिट्टी पर प्रैक्टिस करने के बाद एस्ट्रोटर्फ पर खेलने में कई प्रकार की दिक्कत होती है। हमें अधिक एनर्जी लगानी होती है। शुरूआत से ही अगर एस्ट्रोटर्फ मिल जाए तो इंदौर से तेजी प्रतिभाएं राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाएंगी।
-अंकित गौड़, नेशनल प्लेयर

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