दरअसल, एस्ट्रोटर्फ बिछाने की सबसे पहले मांग 2010 में उठी थी। इसके बाद से प्रदेश में सियासी चेहरे बदलते रहे, लेकिन इंदौर की यह मांग पूरी नहीं हो सकी। 2017 में एस्ट्रोटर्फ लगाने के लिए बिजलपुर स्थित डाइट का चयन किया गया। इसका शुभारंभ तत्कालीन खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया व क्षेत्रीय विधायक जीतू पटवारी ने किया था। 2018 में सत्ता परिवर्तन के साथ ही जीतू पटवारी खेल मंत्री बने और लगा कि अब इंदौर की पुरानी मांग आकार ले लेगी, लेकिन डेढ़ साल आश्वासन में ही गुजर गए।
शहर में हॉकी के लिए एस्ट्रोटर्फ लगाने की घोषणा 23 अगस्त 2016 को हुई थी। प्रदेश कैबिनेट में बजट के दौरान 5 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई थी। 2017 में दो करोड़ रुपए लोक निर्माण विभाग को एस्ट्रोटर्फ लगाने के लिए दिए गए थे।
इन्होंने बढ़ाया इंदौर का मान
मोहम्मद याकूब अंसारी, निरंजन नेगी, ओलंपियन शंकर ओलंपियन, ओलंपियन व पद्श्री किशन दादा, प्रियंका यादव। एस्ट्रोटर्फ न होने से प्रतिभावान खिलाड़ियों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। मिट्टी में खेलने और एस्ट्रोटर्फ पर खेलने में काफी अंतर होता है। एस्ट्रोटर्फ नहीं होने से इंदौर में प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं नहीं हो पा रही हैं। खिलाड़ियों को बड़े मुकाबलों में भाग लेने के लिए पहले दूसरे शहर में एस्ट्रोटर्फ पर प्रैक्टिस करनी पड़ती है।
-किशोर शुक्ला, सचिव ताहिर हॉकी सेंटर
प्रदेश का सबसे बड़ा शहर होने के नाते एस्ट्रोटर्फ की सौगात इंदौर को मिलनी चाहिए थी। मिट्टी पर प्रैक्टिस करने के बाद एस्ट्रोटर्फ पर खेलने में कई प्रकार की दिक्कत होती है। हमें अधिक एनर्जी लगानी होती है। शुरूआत से ही अगर एस्ट्रोटर्फ मिल जाए तो इंदौर से तेजी प्रतिभाएं राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाएंगी।
-अंकित गौड़, नेशनल प्लेयर