दरअसल, मृतक का नाम डॉ भूरेलाल वास्केल है। वह खरखोन के पुतली गांव का रहने वाला है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहा था। इंदौर के आजाद नगर इलाके में किराए के मकान में रहता था। मंगलवार को डेली कॉलेज के गेट पर संदिग्ध अवस्था में उसका शव मिला। जहां से एमवाय अस्पताल उसे भिजवाया गया।
व्हिसल ब्लोअर का दावा
वहीं, इस बीच व्यापमं घोटाले के व्हिसल ब्लोअर आशुतोष चतुर्वेदी ने सनसनीखेज दावा किया है। उन्होंने फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा है कि वास्केल व्यापमं घोटाले से जुड़ा था। यह एमवाय मेडिकल कॉलेज में 2008 बैच का स्टूडेंट था। पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी हुई है।
वहीं, इस बीच व्यापमं घोटाले के व्हिसल ब्लोअर आशुतोष चतुर्वेदी ने सनसनीखेज दावा किया है। उन्होंने फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा है कि वास्केल व्यापमं घोटाले से जुड़ा था। यह एमवाय मेडिकल कॉलेज में 2008 बैच का स्टूडेंट था। पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी हुई है।
पुलिस ने ये कहा
व्हिसल ब्लोअर के दावे पर जांच कर रहे एसआई ने कहा कि मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि डॉ भूरेलाल वास्केल व्यापमं घोटाले से जुड़ा था या नहीं। हालांकि उऩ्होंने ये कहा है कि मामले की विस्तृत जांच जारी है। लेकिन भी जो शुरुआती रिपोर्ट आई है, उसके मुताबिक वास्केल ने दिल के दौरे से दम दोड़ा है। ऐसे में पुलिस हत्या की बात को अभी खारिज कर रही है।
व्हिसल ब्लोअर के दावे पर जांच कर रहे एसआई ने कहा कि मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि डॉ भूरेलाल वास्केल व्यापमं घोटाले से जुड़ा था या नहीं। हालांकि उऩ्होंने ये कहा है कि मामले की विस्तृत जांच जारी है। लेकिन भी जो शुरुआती रिपोर्ट आई है, उसके मुताबिक वास्केल ने दिल के दौरे से दम दोड़ा है। ऐसे में पुलिस हत्या की बात को अभी खारिज कर रही है।
कई लोगों की जा चुकी है जान
दरअसल, व्यापमं घोटाला मध्यप्रदेश के चर्चित घोटालों में से एक है। इसमें अब तक पचास लोगों की जान चुकी है। यह घोटाला 2013 में सामने आया था, जिसमें गिरोहबाज, अधिकाी और सियासी नेता शामिल थे। इन्हीं लोगों ने मिलकर राज्य सरकार की सेवाओं और पेशेवर पाठ्यक्रमों में सैकड़ों उम्मीदवारों के गैरकानूनी तरीके से प्रवेश दिलवाया था। इस मामले की जांच अभी चल रही है।
दरअसल, व्यापमं घोटाला मध्यप्रदेश के चर्चित घोटालों में से एक है। इसमें अब तक पचास लोगों की जान चुकी है। यह घोटाला 2013 में सामने आया था, जिसमें गिरोहबाज, अधिकाी और सियासी नेता शामिल थे। इन्हीं लोगों ने मिलकर राज्य सरकार की सेवाओं और पेशेवर पाठ्यक्रमों में सैकड़ों उम्मीदवारों के गैरकानूनी तरीके से प्रवेश दिलवाया था। इस मामले की जांच अभी चल रही है।