बिरला ग्रुप पर आरोप है कि उन्होंने सेंचुरी यार्न और डेनिम कंपनी को नियमों को ताक पर रखकर वेरिएट ग्लोबल नाम कंपनी को बेच दिया था। इस प्रक्रिया में अपने १ हजार से अधिक मजदूरों को हितों का ध्यान नहीं रखा गया। कंपनी ने मजूरों के साथ समझौैता किया था कि बिना उनकी जानकारी के कंपनी बेची नहीं जाएगी। सेंचुरी श्रमिक सत्याग्रह आंदोलन समिति के राजकुमार दुबे ने बताया, कंपनी के इस फैसले के खिलाफ पिछले ६ महीने से कंपनी के १ हजार से अधिक मजदूर हड़ताल पर थे। इस दौरान मजदूरों को धमकाने के लिए कंपनी ने कइयों के खिलाफ झूठे प्रकरण दर्ज कराए थे। मजदूरों का कहना था, कंपनी की हालिया संपत्ति की कीमत करीब ४५० करोड़ रुपए है, लेकिन मजदूरों के लिए कंपनी महज २.५१ करोड़ में वेरिएट ग्रुप को बेच दी गई। न तो कंपनी को भरोसे में लिया न उनका बकाया वेतन दिया। इस दौरान करीब ३०० मजदूरों को गलत तरीके से निकाल दिया था। औद्योगिक न्यायालय ने सेंचुरी बेचने के एग्रीमेंट को अवैध पाया। इस फैसले को सेंचुरी और वेरिएट ग्लोबल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर फैसला आया है। कोर्ट ने कंपनी बेचने का बिजनेस ट्रान्सफर एग्रीमेंट अवैध पाया है। नियमों की अनदेखी करने के मामले में कंपनी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के अधिकार भी श्रम आयुक्त को हाई कोर्ट ने दिए हैं। इस मामले में मजदूरों की ओर से सीनियर एडवोकेट आनंद मोहन माथुर और अभिनव धनोदकर ने पैरवी की।
-पिछले साढ़े पांच महीनों से चल रहे एक हजार से अधिक मजदूरों के संघर्ष की जीत
-मजदूरों की हड़ताल को भी कोर्ट ने नहीं पाया गलत, औद्योगिक न्यायालय के फैसले पर सहमति – ४५० करोड़ रुपए की संपत्ति महज २.५१ करोड़ में बचने के आरोप
-मजदूरों की हड़ताल को भी कोर्ट ने नहीं पाया गलत, औद्योगिक न्यायालय के फैसले पर सहमति – ४५० करोड़ रुपए की संपत्ति महज २.५१ करोड़ में बचने के आरोप