scriptविवि के बजाय जगह सरकारी जगह क्यों नहीं जा रहा थाना | Why police station is not shifting to government place instead of DAVV | Patrika News

विवि के बजाय जगह सरकारी जगह क्यों नहीं जा रहा थाना

locationइंदौरPublished: Sep 22, 2021 04:31:12 pm

– तक्षशिला परिसर की जमीन पर ही थाना शिफ्ट कराने के लिए प्रशासन ने लगाया जोर
– कृषि विभाग के कृषक भवन की बिल्डिंग सहित सरकारी जमीनों पर नहीं हुआ विचार

इंदौर.

भंवरकुआं चौराहे के लेफ्ट टर्न के लिए जिला प्रशासन और यूनिवर्सिटी प्रबंधन के बीच चली लंबी खींचतान के बाद थाना यूनिवर्सिटी की ही जमीन पर शिफ्ट होने की सहमति बनी है। मगर, इस बीच सवाल उठ रहे है कि थाना क्षेत्र में काफी मात्रा में सरकारी जमीन खाली होने के बावजूद सिर्फ यूनिवर्सिटी को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा। इस क्षेत्र में न सिर्फ जमीनें बल्कि कृषि विभाग के कृषक भवन की बिल्डिंग भी बनकर तैयार है जिसका इस्तेमाल नहीं हो रहा। भंवरकुआं थाने की सीमा जिन पांच राजस्व गांवों से लगती है उसमें काफी सरकारी जमीन मौजूद है। लेकिन, इन जमीनों पर थाने का निर्माण करने के बजाय प्रशासन देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी परिसर में ही बनाने पर अड़ा है।
भंवरकुआं थाना चितावद, इंदौर कस्बा, पिपल्याराव, लिम्बोदी और बिलावली राजस्व गांव की सीमा में फैला हुआ है। इनके कांकड की सरकारी जमीन सहित अन्य जमीनों पर कब्जे हो चुके है। इन कब्जों को हटाकर खाली जमीन पर थाना बनाया जा सकता है। इसी क्षेत्र में कई सरकारी विभागों के दफ्तर और जमीनें पहले से मौजूद है। इनमें से कई बिल्डिंगों का इस्तेमाल भी नहीं हो रहा है। इसके बावजूद थाने को इन बनी-बनाई इमारतों में शिफ्ट करने की जगह विवि की जमीन पर ही शिफ्ट कराने की कवायद है। रिंग रोड़ पर क्रिस्टल आईटी पार्क के ठीक सामने कृषि विभाग का कृषक भवन इमारत भी है। ये बिल्डिंग किसानों के विश्राम गृह के लिए बनाई गई थी। लेकिन, इसका उपयोग किसानों के द्वारा न के बराबर ही किया गया है। इसके अलावा राजीव गांधी चौराहे पर नदी के किनारे भी सरकारी जमीन है। मौजूदा भंवरकुआं थाने के ठीक सामने की ओर ट्रांसपोर्ट नगर की ओर जाने वाले रास्ते पर भी सरकारी जमीन का टुकड़ा है जिस पर कब्जे हो चुके है। मालूम हो, ए प्लस का दर्जा मिलने के बाद देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के विकास और विस्तार की योजनाएं बन रही है। ऐसे में थाने और पानी की टंकी के लिए जमीन का बड़ा हिस्सा दिए जाने से ये योजनाएं भी प्रभावित होंगी।
———–

यदि विश्वविद्यालय की जमीन के अलावा प्रशासन के पास और भी जमीन के विकल्प है तो प्रशासन को उन पर ध्यान देना चाहिए। शैक्षणिक उपयोग के लिए मिली जमीन का इस्तेमाल शिक्षा के लिए ही हो तो बेहतर होगा। फिलहाल शहर हित में हम थाने के लिए जमीन देने का प्रस्ताव कार्यपरिषद में रखने जा रहे है।
– प्रो.रेणु जैन, कुलपति

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो