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लोकायुक्त के सवाल-वकील क्यों बनते है हाईकोर्ट

locationइंदौरPublished: Mar 10, 2018 07:20:47 pm

Submitted by:

amit mandloi

वर्तमान में वकीलों से जज बनने का अनुपात अधिक, रिटायर्ड जजेस की मांग, लीगल एड के माध्यम से सामाजिक जागरूकता जरूरी

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हाई कोर्ट में जजेस की नियुक्ति में डिस्ट्रिक्ट जजेस का प्रतिशत बढ़ाया जाए – लोकायुक्त

आल इंडिया रिटायर्ड जजेस एसोसिएशन की कांफ्रेस
इंदौर. देश में शीर्ष अदालतों में जजेस की नियुक्तियों के सिस्टम पर एक बार न्यायिक सेवा से जुड़े लोगों ने उगंली उठाते हुए इसे सुधारने की दिशा में प्रयास करने के लिए सरकार को चेताया है। आल इंडिया रिटायर्ड जजेस एसोसिएशन के कार्यक्रम में कार्यरत जजेस की समस्याओं के साथ नियुक्ति प्रक्रिया की विसंगतियों को दूर करने की मांग की गई है। एसोसिएशन का कहना है, हाई कोर्ट जजेस की नियुक्तियों वकीलों का कोटा अधिक होने से सिविल जज के रुप में न्यायिक सेवा में आने वाले जजेस हाई कोर्ट जज के शीर्ष पदों पर पहुंच ही नहीं पाते हैं। यदि नंबर आ भी जाए तो एक दो से तीन साल का ही कार्यकाल मिलता है। जिसमें तरक्की की संभावनाएं नहीं के बराबर होती है। सेवानिवृत्त डिस्ट्रिक्ट जजेस ने कहा, लोकतंत्रीय देश के लिए यह बड़ी विडंबना है, दुनिया में न्यायिक सिस्टम जजेस द्वारा जजेस के चलया जाता है, भारत में यह सिस्टम वकीलों द्वारा वकीलों के लिए चलाया जा रहा है।

शनिवार एसोसिएशन की सालाना बैठक बायपास स्थित होटल रिजेंट सेंट्रल में आयोजित की गई। शुभारंभ मप्र के लोकायुक्त जस्टिस एनके गुप्ता ने किया। अध्यक्षता जस्टिस वीडी ज्ञानी ने की। जस्टिस आईएस श्रीवास्तव विशेष अतिथि के रुप में मौजूद थे। जस्टिस गुप्ता ने एसोसिएशन के एजेंडे का समर्थन करते हुए कहा, जजेस की नियुक्तियों में यह विसंगतियां दूर करके स्टेट न्यायिक सेवा से चयनित जजेस के लिए अवसर बढ़ाना चाहिए। वर्तमान व्यवस्था में उम्र की बड़ी विसंगती है। इसलिए वकील कोटे से आने वाले जजेस शीर्ष अदालतों में सीनियर पदों तक पहुंच जाते हैं, जबकि डिस्ट्रिक जजेस से चयनित व्यक्ति अनेक बार कन्फर्म भी नहीं होते हैं। इसलिए इस अनुपात को ठीक करने की जरूरत है। वर्तमान में अदालतों में प्रकरणों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। इसमें कमी लाने के लिए भी न्यायिक सुधार की जरूरत है। साथ ही सामाजिक व्यवस्थाओं आधारित स्वीकार्य विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए।
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