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नुकसान के बाद भी राजस्व में इजाफा

locationइंदौरPublished: Jan 29, 2016 07:08:00 am

Submitted by:

Abhishek Pareek

कृषि उपज मण्डी में राजस्व के बढ़ते ग्राफ को लेकर मण्डी विकास की उम्मीदों
को पंख लगे हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2011-12 से 2015-16 तक मण्डी
आय में निरन्तर बढ़ोतरी हुई है।

कृषि उपज मण्डी में राजस्व के बढ़ते ग्राफ को लेकर मण्डी विकास की उम्मीदों को पंख लगे हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2011-12 से 2015-16 तक मण्डी आय में निरन्तर बढ़ोतरी हुई है। हालांकि गत वर्ष रबी व खरीफ की फसलें खराबे के चलते नष्ट हो गई थी। इसके बावजूद मण्डी आय में कमी नहीं आई।

राजस्व में हो रहे इजाफे से अब मण्डी सुविधाओं में भी चार चांद लगेंगे। हालांकि जिला मुख्यालय पर ‘बी’ श्रेणी की कृषि मण्डी संचालित है। इसके बावजूद इसमें किसानों को ‘ए’ श्रेणी की सुविधाएं देने के निर्देश कृषि मंत्री ने दे रखे हैं। हालांकि ‘बी’ श्रेणी की कृषि मण्डी में किसानों के लिए गेस्ट हाउस, किसान भवन, किसान कलेवा योजना नहीं होती, लेकिन टोंक मण्डी में ये सब योजना संचालित है।

योजना के तहत मण्डी में जिंस लेकर आने वाले किसानों व कार्यरत मजदूरों को पांच रुपए में सब्जी, दाल, 50 ग्राम गुड़ व 200 ग्राम आटे की रोटियां या पूड़ी उपलब्ध कराई जा रही है। यही कारण है कि आसपास के गांवों के किसानों का रुझान मण्डी के प्रति बढ़ रहा है।
स्थिति यह है कि रबी के सीजन में तो मण्डी परिसर सरसों व गेहूं से अटा रहता है।

खराबे से फसलों में नुकसान
गत वर्ष रबी फसल ओलावृष्टि व मौसम की भेंट चढ़ गई थी। इसके बावजूद टोंक कृषि मण्डी के राजस्व में कमी नहीं आई। किसानों का कहना है कि गत दिनों खरीफ फसल में भी बारिश की कमी से नुकसान हुआ था। इसी प्रकार व्यापारियों व पल्लेदारों में मांगों की सहमति नहीं बनने से एक माह तक मण्डी में कारोबार ठप रहा था, लेकिन मण्डी खुलने पर राजस्व में तेजी से इजाफा हुआ।

सुविधाओं का होगा विस्तार
मण्डी का राजस्व बढऩे से कर्मचारियों को समय पर वेतन मिलने की उम्मीद बनी है।
वहीं सीसी रोड, प्याऊ, टीन शेड, जनरेटर, मण्डी यार्ड, प्लेटफॉर्म, समेत अन्य सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। इसके साथ ही मण्डी समिति की ओर से पल्लेदारों के लिए संचालित योजनाओं में इजाफा किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में टोंक कृषि मण्डी में करीब तीन सौ पल्लेदारों का पंजीयन है।

काश्तकार को देंगे सुविधा पूरी
राजस्व का आंकड़ा साल दर साल लगातार बढ़ रहा है। जबकि गत दिनों मण्डी में कारोबार भी बंद रहा था। मण्डी में आने वाले हर काश्तकार को पूरी सुविधा देने के लिए मण्डी प्रशासन प्रयासरत है।
मोहम्मद इश्तियाक खान, मण्डी सचिव टोंक।

पांच वर्षों में रबी की बुवाई
वर्ष क्षेत्रफल (हैक्टेयर में)
2009-10 2, 64, 595
2010-11 4, 27, 866
2011-12 4, 00400
2012-13 4, 07, 887
2013-14 4, 15, 426
2014-15 4, 33, 800
2015-16 4, 55, 915

वित्तीय वर्ष का राजस्व
वर्ष राजस्व (लाख में)
2011-12 241.14
2012-13 252.55
2013-14 281.26
2014-15 310.96
2015-16 238.02
(30 नवम्बर 2015 तक)
(आंकड़े बोरियों में, स्रोत कृषि विभाग)

मण्डी में खरीफ जिंस की आवक
जिंस वर्ष 2014-15 2015-16
बाजरा 13, 639 9132
ज्वार 581 1577
मक्का 440 –
चना 184 44
मूंग 29 125
उड़द 2241 1235
ग्वार 778 532
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