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महिलाएं ब्रांडेड कंपनियों की ड्रेस बनाकर कर रहीं लाखों की कमाई

locationइंदौरPublished: Feb 20, 2023 01:56:17 am

घर का काम करने के साथ ही फैशन डिजाइन का काम सीखा। आज महिलाओं को गांव में ही ब्रांडेड कंपनियों के ऑर्डर मिल रहे हैं। महिलाएं कंपनियों की डिजाइन मुताबिक ड्रेस तैयार कर रही हैं।

 

महिलाएं ब्रांडेड कंपनियों की ड्रेस बनाकर कर रहीं लाखों की कमाई
इंदौर. जिले की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्र कीं। घर का काम करने के साथ ही फैशन डिजाइन का काम सीखा। आज महिलाओं को गांव में ही ब्रांडेड कंपनियों के ऑर्डर मिल रहे हैं। महिलाएं कंपनियों की डिजाइन मुताबिक ड्रेस तैयार कर रही हैं।
टेक्सटाइल्स कंपनियों की ड्रेस बनाने पर महिलाओं के समूह को लाखों रुपए के ऑर्डर मिलने लगे हैं, इससे वे काफी खुश हैं। इससे मजदूरी व गृहस्थी का काम करने वालीं महिलाएं आज आत्मनिर्भर होकर महीने का 10 से 12 हजार रुपए कमा रही हैं। आत्मनिर्भरता की यह कहानी जिले के लसूडिय़ा परमार गांव की है। गांव में 16 समूह हैं, जिनमें 175 महिलाएं आत्मनिर्भर हो गई हैं। मप्र ग्रामीण आजीविका मिशन की सहायक जिला प्रबंधक अधिकारी रेणुका भार्गव ने बताया, ब्रांडेड कंपनियों द्वारा महिला समूहों को महीने में एक लाख से अधिक का माल दिया जा रहा है।
मिल रहा बड़ा ऑर्डर
महिलाएं कंपनियों को समय पर ऑर्डर तैयार करके दे रही हैं। इससे महिलाओं को हर महीने 10 से 12 हजार रुपए गांव में ही मिल रहे हैं। इस काम से महिलाओं को बाजार की समझ भी हो गई है, जिससे उनका कारोबार भी बढ़ रहा है। हजार से शुरु हुआ काम लाखों में पहुंच गया है।
रेडिमेट कॉम्प्लेक्स का भी काम मिल रहा
समूह की महिलाओं को जो काम मिल रहा है, उनमें ब्रांडेड कंपनियों के अलावा रेडिमेट कॉम्प्लेक्स का भी काम शामिल है। यहां की भी कई बड़ी कंपनियां अपनी डिजाइन देकर ड्रेस बनवा रही हैं। महिलाएं सिलाई कर हाईटेक मशीनों की तरह ही ड्रेस तैयार कर रही हैं। ड्रेस में सफाई व बारीकी से अच्छा काम होने से ऑर्डर भी बढ़ रहे हैं। शुरुआत में कुछ ऑर्डर मिले, जिनको अच्छे से बनाकर देने पर थोक में ऑर्डर मिलने लगे हैं।
न्यू जनरेशन की पसंद के मुताबिक बना रहे कपड़े
उन्नति समूह की अध्यक्ष पूजा रजोरिया ने बताया, सिलाई का काम पहले छोटा लगता था, लेकिन आज एक कंपनी की तरह काम कर रहे हैं। अभी 5 से 15 साल की बच्चियों की ड्रेस बनाने के आर्डर ज्यादा मिल रहे हैं। न्यू जनरेशन की पसंद के मुताबिक कपड़े बना रहे हैं, जिसकी बाजार में अच्छी मांग है। पहले मैं घर का ही काम करती थी। महिला आजीविका सिलाई केंद्र के साथ ही घर पर भी ऑर्डर को पूरा करती हूं, जो कमाई होती है उससे बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देती हूं। मिलन समूह की अध्यक्ष कविता चौहान ने बताया, गांव में हम ब्रांडेड कंपनियों के कपड़े तैयार कर रहे हैं, जो हमारे लिए बड़ा काम है। इससे मेरे जैसी गांव की कई महिलाएं आत्मनिर्भर बनी हैं। हमारा समूह एक कंपनी की तरह काम कर रहा है। ऑर्डर को हम समय पर बनाकर देते हैं, जिससे कई कंपनियों का काम मिलने लगा।
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