चांद छठ के पर्व पर नृसिंह बाजार स्थित प्राचीन नृसिंह मंदिर में झूला महोत्सव का आयोजन किया गया। भगवान का हरियाली के साथ फूलो से मनोहारी श्रृंगार किया गया। लक्ष्मी नृसिंह का पालना रेशम की डोरी से झुलाया। पुजारी छोटेलाल शर्मा ने बताया चांद छठ के दिन महिलाओं और युवतियों द्वारा सूर्य अस्त से चंद्र उदय तक व्रत रखा जाता है। मंदिरों में दर्शन कर चंद्रमा उदय होने पर चांद छठ की कथा सुनी जाती है। महिलाएं अपने सुहाग के लिए तो युवतियां अच्छे वर की कामना के लिए व्रत रखती हैं। पूजा पाठ करने के बाद महिलाएं व युवतियां फूंगड़ी, खो-खो जैसे खेल भी खेलती हैं। मंदिर में मधु सोनी ने भजनों की प्रस्तुति से सभी को भावविभोर कर दिया। श्रावण ऋतु आई रे…, राधा तेरी चुनरी उड जाये धिरे चलो …, जैसे मनोहारी भजनों से पांडाल गुजायमान हो रहा था। महिलाएं भजनों पर जमकर थिरक रही थी।
राजबाड़ा क्षेत्र में रहा उत्सव जैसा माहौल ांद छठ पर राजबाड़ा क्षेत्र में स्थित गोपाल मंदिर, यशोदा माता मंदिर, नृसिंह मंदिर के साथ ही अन्य मंदिरों में भगवान का मनोहारी शृंगार किया गया था। पूरे राजवाड़ा क्षेत्र में शाम 7 बजे से लेकर देर रात्रि तक यह नजारा रहा। चंद्रोदय रात्रि 10.46 बजे होगा। चांद को अध्र्य देकर महिलाओं ने व्रत खोला।
चंद्रोदय तक खंडे रहते है व्रती चांद छठ पर महिलाएं और युवतियां सूर्यास्त के बाद स्नान कर तैयार होती है। सूर्यास्त से लेकर चंद्रोदय तक खड़े रहकर पौराणिक कथाओं का श्रवण किया जाता है। मंदिरों में ठाकुरजी के दर्शन कर पूजा अर्चना की जाती है।