चोरल रेंजर रविकांत जैन ने बताया कि पिछले 6 माह में हमें जब भी मुखबिर से सूचना मिलने पर रात 12 से सुबह 6 बजे तक नाकेबंदी करते थे। रात को जंगलों से लकड़ी और बाइक बरामद करते या फिर अलसुबह सड़क मार्ग पर पकड़ लेते थे। 27 जनवरी को 6 बाइक और 41 सिल्ली सागवान जब्त की। बाजार में एक सिल्ली की कीमत 10 हजार रुपए से अधिक होती है। जबकि तस्कर यह सिल्ली व्यापारी को 2500 रुपए में बेचते थे। इसके अलावा एक बार दो बाइक और 6 सिल्ली पकड़ी। कुछ माह पहले एक बाइक पर चार सिल्ली पकड़ी। सभी बाइक चोरी की है। इसके साथ नर्मदा से लगे तीन गांव से आरा मशीन जब्त की है। हर एक कार्रवाई 2.2 घनमीटर की लकड़ी जब्त की। तीनों कार्रवाई में करीब 7 लाख रुपए से अधिक की रकम जब्त की। इस दौरान अंतर सिंह, कान्हा को हिरासत में लिया। 15 से अधिक आरोपी फरार है। अधिकांश रसकुंडिया और उमट के हैं।
ऐसे करते हैं तस्करी वन अफसरों के अनुसार चोरल के घने जंगलों से लकड़ी तस्कर सागवान के पेड़ काट सिल्ली बनाते हैं। इसके बाद चोरी की बाइक पर इन सिल्लियों को बड़वाह की ओर ले जाते हैं। यहां नर्मदा नदी से लगे पिताम्बलीए कवानाए नांदरा आदि से नाव में रखकर नर्मदा नदी पार टोकसरए बकावा गांव भिजवाते हैं। यहां से व्यापारी माल खरीदकर बाजार में उतार देते है। इन सागवान की सिल्लियों को काफी कम दाम में खरीदा जाता है और 10 गुना अधिक दाम में बाजार में बेचा जाता है।