निगम द्वारा योजना के तहत बनाए जा रहे आवास में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इनकी संख्या पर डेढ़-डेढ़ लाख रुपए दिए जा रहे हैं। बाकी पैसा खरीदार से ही लेकर लगाना है। सबसे छोटे फ्लैट की लागत ही साढ़े 6 लाख रुपए तक आ रही है। बुक हो चुके फ्लैट्स पर बैंकों द्वारा दिए गए लोन की किस्तें निगम को मिलना शुरू नहीं हुई हैं। बैंक से दूसरी किस्त दिसंबर में मिलना शुरू होगी। निगम को उम्मीद है, मार्च तक बुक हो चुके फ्लैट का आधिपत्य देना शुरू कर देगा। उसके बाद बुकिंग बढ़ पाएगी। ऐसे में निगम अप्रैल २०२० तक के लिए २०० करोड़ रुपए की व्यवस्था कर रहा है। नगर निगम द्वारा केवल बिल्डिंग खड़ी करने का काम जारी है। इसके बाद सीवरेज सिस्टम, पेजयल व्यवस्था के साथ ही पहुंच मार्ग, उद्यान आदि भी विकसित करना है। नगर निगम के कार्यपालन यंत्री (पीएमएवाय) महेश शर्मा ने बताया, प्रोजेक्ट के लिए केंद्र और राज्य सरकार से पैसा मिल चुका है। बाकी के लिए बैंक से लोन ले रहे हैं। बैंक ने राज्य सरकार की गारंटी मांगी है, जो मिल जाएगी। कुछ फ्लैट मार्च तक पूरे होने के बाद बुकिंग बढऩे से आय भी बढ़ेगी, तब बैंक का लोन चुका देंगे।