पलायन की हकीकत ऐसे आई सामने
उपचुनाव के दौरान पिछड़े क्षेत्रों में 40% और सामान्य क्षेत्रों में 30% से ज्यादा मजदूर घर पर नहीं मिले। बीएलओ की एसडीआर (शिफ्ट, डेथ, रिपीट) रिपोर्ट में स्थिति सामने आई। नियोक्ताओं ने भी पुराने श्रमिकों को ही महत्व दिया, जिससे स्थानीय श्रमिकों को मौका नहीं मिला। सरकार ने सभी जिलों के कलेक्टर, सीईओ, ननि आयुक्त, जिला रोजगार अधिकारी, पीआइयू सहित आउट सोर्स करने वाले अन्य सभी प्रमुख विभागों को श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए पत्र लिखा था।
मजदूरों को रोजगार दिलाने की पूरी कोशिश की। बेहतर विकल्प पुरानी संस्थाओं में लगा तो वे लौट गए। संभाग में करीब 2700 को रोजगार दिलवाया गया।
-वीरेंद्रसिंह रावत, लेबर कमिश्नर
सरकार ने प्रयास अच्छा किया, पर उद्योगों में श्रमिकों को खपाने व नियोजित करने की क्षमता नहीं है। ऐसे में पोर्टल पर दर्ज श्रमिकों को उद्योग नियोजित नहीं कर सके।
-कैलाश अग्रवाल, प्रदेश अध्यक्ष चेंबर ऑफ कॉमर्स
कम पूंजी, कम तकनीक से ज्यादा रोजगार देने वाले उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए। मनरेगा में ढांचा सुधरना चाहिए।
-माधुरी बेन, सामाजिक कार्यकर्ता