खास रिपोर्ट-
मधुमेह ऐसी बीमारी है, जो ज्यादातर लोगों को अनुवांशिक होती है। यदि किसी परिवार में मधुमेह की बीमारी पहले से है तो पीढ़ी-दर-पीढ़ी बीमारी बढऩे की आशंका रहती है। रक्त में ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा होने के कारण डायबिटीज होती है। ऐसा दो कारणों से होता है- पहला, जब किसी व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन पर प्रतिक्रिया नहीं करतीं। पैंक्रियाज यानी अग्नाशय ग्रंथि के निष्क्रिय होने पर इंसुलिन (रक्त में शर्करा की मात्रा को संतुलित करने वाला हार्मोन) बनना बंद हो जाता है। कोलेस्ट्रॉल और वसा भी असामान्य हो जाते हैं, जिस कारण रक्त वाहिकाओं में बदलाव होता है और आंखें, गुर्दे, दिमाग, दिल आदि संबंधी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
मधुमेह ऐसी बीमारी है, जो ज्यादातर लोगों को अनुवांशिक होती है। यदि किसी परिवार में मधुमेह की बीमारी पहले से है तो पीढ़ी-दर-पीढ़ी बीमारी बढऩे की आशंका रहती है। रक्त में ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा होने के कारण डायबिटीज होती है। ऐसा दो कारणों से होता है- पहला, जब किसी व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन पर प्रतिक्रिया नहीं करतीं। पैंक्रियाज यानी अग्नाशय ग्रंथि के निष्क्रिय होने पर इंसुलिन (रक्त में शर्करा की मात्रा को संतुलित करने वाला हार्मोन) बनना बंद हो जाता है। कोलेस्ट्रॉल और वसा भी असामान्य हो जाते हैं, जिस कारण रक्त वाहिकाओं में बदलाव होता है और आंखें, गुर्दे, दिमाग, दिल आदि संबंधी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
सात साल की उम्र में 600 शुगर
एमवाय में 6 दिन पहले बदरवास (शिवपुरी) की सिमरन (७) को लाया गया। किसान पिता राजू ने बताया, 15 दिन पहले चिकनपॉक्स हुआ था। इसके बाद अचानक शरीर ठंडा पड़ा और बेटी बेहोश हो गई। गुना अस्पताल में खून की जांच में शुगर 600 बतार्ई। इंदौर रैफर करने पर दो दिन अरबिंदो अस्पताल में इलाज कराया। आर्थिक हालत ठीक नहीं होने से एमवाय लाए। बच्ची को टाइप-1 डायबिटीज बताई है। इंसुलिन से शुगर लेवल कंट्रोल होगा।
एमवाय में 6 दिन पहले बदरवास (शिवपुरी) की सिमरन (७) को लाया गया। किसान पिता राजू ने बताया, 15 दिन पहले चिकनपॉक्स हुआ था। इसके बाद अचानक शरीर ठंडा पड़ा और बेटी बेहोश हो गई। गुना अस्पताल में खून की जांच में शुगर 600 बतार्ई। इंदौर रैफर करने पर दो दिन अरबिंदो अस्पताल में इलाज कराया। आर्थिक हालत ठीक नहीं होने से एमवाय लाए। बच्ची को टाइप-1 डायबिटीज बताई है। इंसुलिन से शुगर लेवल कंट्रोल होगा।
80%
डायबिटीज का खतरा बढऩे लगता है 18 वर्ष की उम्र के बाद 5 किलो वजन बढऩे पर।
5 में से 2 डायबिटीज से पीडि़त महिला रिप्रोडक्शन ऐज में होती है यानी उससे यह बीमारी उसके शिशु को भी मिल सकती है।
डायबिटीज का खतरा बढऩे लगता है 18 वर्ष की उम्र के बाद 5 किलो वजन बढऩे पर।
5 में से 2 डायबिटीज से पीडि़त महिला रिप्रोडक्शन ऐज में होती है यानी उससे यह बीमारी उसके शिशु को भी मिल सकती है।
10% गर्भवती काम के तनाव और शादी की उम्र बढऩे के कारण डायबिटीज का शिकार होती हैं।
6500 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं हर साल विश्व में डायबिटीज केअर पर
11.6% 21 लाख महिलाओं की डायबिटीज के कारण हर साल विश्व में असमय मौत हो जाती है।
6500 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं हर साल विश्व में डायबिटीज केअर पर
11.6% 21 लाख महिलाओं की डायबिटीज के कारण हर साल विश्व में असमय मौत हो जाती है।
डायबिटीज के प्रकार
1. टाइप 1 : रोगी के शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। पीडि़त को मानव निर्मित इंसुलिन का सहारा लेना पड़ता है।
2. टाइप 2 : जब शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन पर प्रतिक्रिया करना बंद कर देती हैं।
3. जेस्टेशनल : यह गर्भवती को होती है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं द्वारा जो दवाएं ली जाती हैं, उनके कारण महिलाओं के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढऩे का खतरा होता है। अधिकतर मामलों में डिलीवरी के बाद शुगर लेवल सामान्य हो जाता है।
1. टाइप 1 : रोगी के शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। पीडि़त को मानव निर्मित इंसुलिन का सहारा लेना पड़ता है।
2. टाइप 2 : जब शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन पर प्रतिक्रिया करना बंद कर देती हैं।
3. जेस्टेशनल : यह गर्भवती को होती है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं द्वारा जो दवाएं ली जाती हैं, उनके कारण महिलाओं के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढऩे का खतरा होता है। अधिकतर मामलों में डिलीवरी के बाद शुगर लेवल सामान्य हो जाता है।
डायबिटीज के लक्षण
– थकान, कमजोरी, पैरों में दर्द-झुनझुनी
– पैर का घाव ठीक न होना या गैंगरीन का रूप ले लेना
बार-बार पेशाब आना और भूख लगना, वजन कम होना
– बार-बार चश्मे का नंबर बदलना
– दिल या मानसिक समस्याएं
– थकान, कमजोरी, पैरों में दर्द-झुनझुनी
– पैर का घाव ठीक न होना या गैंगरीन का रूप ले लेना
बार-बार पेशाब आना और भूख लगना, वजन कम होना
– बार-बार चश्मे का नंबर बदलना
– दिल या मानसिक समस्याएं
जरूरी सावधानियां
– नियमित शुगर स्तर की जांच कराएं
– किसी भी तरह के घाव को खुला न छोड़ें
– फलों का रस लेने के बजाय फल खाएं
– व्यायाम या योग से वजन नियंत्रित रखें खून में शुगर का सामान्य स्तर
– खाना खाने से पहले : 70 से 130 मिलीग्राम के बीच
– खाना खाने के बाद : 180 मिलीग्राम से कम
– सोते समय : 100 से 140 मिलीग्राम
– नियमित शुगर स्तर की जांच कराएं
– किसी भी तरह के घाव को खुला न छोड़ें
– फलों का रस लेने के बजाय फल खाएं
– व्यायाम या योग से वजन नियंत्रित रखें खून में शुगर का सामान्य स्तर
– खाना खाने से पहले : 70 से 130 मिलीग्राम के बीच
– खाना खाने के बाद : 180 मिलीग्राम से कम
– सोते समय : 100 से 140 मिलीग्राम
बदली जीवनशैली दे रही बीमारियों को न्योता युवाओं में खान-पान के साथ जीवनशैली में काम का दबाव व तनाव डायबिटीज को न्योता दे रहा है। व्यस्त व्यक्तियों में डायबिटीज व प्रू डायबिटीज का आंकड़ा 20 फीसदी से ज्यादा है। जागरूकता की कमी बड़ी समस्या है। 50 फीसदी मरीजों को समस्या होने पर डायबिटीज का पता चलता है। शेष 50 फीसदी में से आधे पता चलने के बाद भी मानते नहीं कि वे डायबिटीक हैं। दवाई की जगह अन्य नुस्खे आजमाते हैं। बचे 25 फीसदी में से भी अधिकतर मरीज डॉक्टर द्वारा लिखी दवाई में से आधी ही लेते हैं।
डॉ. धर्मेंद्र झंवर, डायबिटीज विशेषज्ञ
डॉ. धर्मेंद्र झंवर, डायबिटीज विशेषज्ञ
सबसे पहले मानें कि आप तनाव में हैं
70 प्रतिशत डायबिटीज के केस में रोकथाम संभव होती है, लेकिन प्रयास ही नहीं किए जाते। तनाव हर बीमारी की जड़ है और इसे कम करने के लिए आपको सबसे पहले मानना होगा कि आप तनाव में हैं। इसके बाद ऑलटर, अवॉयड और अडॉप्ट मेथेड अपनाएं। जिन आदतों से आपको तनाव होता है उन्हें ठीक करें। जैसे घर से जल्दी निकलें, समय पर काम पूरा करें आदि। हेल्दी लाइफ के लिए अपनी दिनचर्या में ध्यान-योग और कसरत जैसी अच्छी आदतें डालें।
70 प्रतिशत डायबिटीज के केस में रोकथाम संभव होती है, लेकिन प्रयास ही नहीं किए जाते। तनाव हर बीमारी की जड़ है और इसे कम करने के लिए आपको सबसे पहले मानना होगा कि आप तनाव में हैं। इसके बाद ऑलटर, अवॉयड और अडॉप्ट मेथेड अपनाएं। जिन आदतों से आपको तनाव होता है उन्हें ठीक करें। जैसे घर से जल्दी निकलें, समय पर काम पूरा करें आदि। हेल्दी लाइफ के लिए अपनी दिनचर्या में ध्यान-योग और कसरत जैसी अच्छी आदतें डालें।
डॉ. संदीप जुल्का, डायबिटीज विशेषज्ञ