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योग दिवस विशेष: हमारे फेफड़े में 30 करोड़ बबल्स, योग बनाता है इन्हें मजबूत

locationइंदौरPublished: Jun 21, 2019 11:53:06 am

अंर्तराष्ट्रीय योग दिवस पर पत्रिका ने फेफड़ों की बीमारी और हाइपरटेंशन से बचने के लिए विशेषज्ञों से चर्चा कर पाठकों के लिए जरूरी जानकारी एकत्र की

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इंदौर. शहर के वरिष्ठ चेस्ट फिजिशियन व योग विशेषज्ञ डॉ. संजय लोंढे कहते हैं,योग विद्या हमारी पुरातन संस्कृति का अभिन्न अंग है। इसे जीवनशैली के रूप में ही अपनाया जाता था। इससे आत्मनियंत्रण, आत्मसंयम, अनुशासन, समर्पण, समन्वय बढ़ता है। योग के अष्टांगों में प्राणायाम ऐसी क्रिया है जो श्वास -प्रश्वास के जरिए शरीर को शुद्ध बनाती है। वैज्ञानिक रूप से देखें तो फेफड़ों में छोटे-छोटे लगभग 30 करोड़ फुग्गे ( बबल्स) होते हैं, जहां से वायु का आदान-प्रदान होता है। ये फुग्गे माइक्रोस्कोप से ही दिखते हैं। इनकी दीवारे इलास्टिक से बनी होती हैं। उम्र के कारण, धूल, गैस, केमिकल, प्रदूषण से इलास्टिक खराब होने पर श्वास में तकलीफ होती है। एम्‍स के डॉक्‍टरों द्वारा किए गए अध्‍ययन में भी कहा गया है, फेफड़े के मरीजों के लिए योग बहुत लाभकारी है। 12 हफ्ते की ट्रेनिंग के बाद क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पुलमोनेरी डिसीज (सीओपीडी) पीडि़त मरीजों के फेफड़े और सांस संबंधी तकलीफों में महत्वपूर्ण सुधार दिखा। ऐसे मरीजों को फेफड़ों से सांस बाहर निकालने में तकलीफ होती है, जिससे ताजी हवा शरीर के अंदर लेना मुश्किल हो जाता है। श्वसन के व्यायाम में दीर्घ श्वसन, नाड़ीशोधन, अनुलोम-विलोम आदि भी हैं। हवा का तकिया, फुटबॉल ब्लाडर, बड़ा फुग्गा फुलाकर भी फेफड़े के व्यायाम किए जा सकते हैं।
40 फीसदी हाइपरटेंशन पीडि़त अपना रहे योग की राह
योग विशेषज्ञ व योग टेंपल के संचालक मनोज गर्ग कहते हैं, आधुनिक जीवनशैली में बड़ी बीमारी बनाकर उभरा हाइपरटेंशन हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, गुर्दों की बीमारी तथा हार्ट फेलियर को जन्म देने में मुख्य भूमिका निभाता है। यह विश्व में होने वाली 13 फीसदी मौतों का कारण है। इंदौर में 12 फीसदी वयस्क इससे पीडि़त हैं। योग, मेडिटेशन और सेहतमंद भोजन से इससे बचा जा सकता है। हमारे पास आने वाले लोगों में 35 से 40 फीसदी हाइपरटेंशन के शिकार होते हैं। मानसिक तनाव से जुड़ी इस समस्या से योग व मेडिटेशन के जरिए शरीर एवं दिमाग को रिलेक्स कर मुक्ति पाई जा सकती है। शवासन, अनुलोम-विलोम प्राणायाम व योग निद्रा सबसे ज्यादा प्रभावशील हैं। मानसिक शांति के लिए मेडिटेशन से लाभ होता है। लगातार प्रैक्टिस के बाद मरीजों की दवाएं बंद हो जाती हैं। दरअसल, कार्टिसोल नामक स्ट्रेस हॉर्मोन बढऩे पर व्यक्ति हाइपरटेंशन का शिकार होता है। योग व मेडिटेशन से इसे कम कर हैप्पीनेस के एडिलेनिल हॉर्मोन को बढ़ाया जा सकता है। हमारे सर्वे में सामने आया है, तेज वाहन चलाने या अन्य काम हड़बड़ी में करने वाले लोग हाइपरटेंशन का शिकार रहते हैं।
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